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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में डांस बार को दी इजाजत, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फैसले का किया स्वागत

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में डांस बार के लिए लाइसेंस और कारोबार पर पाबंदी लगाने वाले कुछ प्रावधान को निरस्त कर दिया.

Updated on: 17 Jan 2019, 11:20 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में डांस बार के लिए लाइसेंस और कारोबार पर पाबंदी लगाने वाले कुछ प्रावधान को निरस्त कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है. भारतीय बार गर्ल्स यूनियन की अध्यक्ष वर्षा काले ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'जीत' करार दिया. उन्होंने कहा, 'उम्मीद है राज्य प्रशासन डांस बार को लाइसेंस देना शुरू करेंगे ताकि हजारों बार डांसर जिन्हें अपना प्रोफेशन छोड़कर जाना पड़ा वह वापिस आ सकें.' काले ने दावा किया कि कथित तौर पर अश्लीलता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए 2005 में राज्य सरकार ने डांस बार पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद करीब 75,000 महिलाएं बेरोज़गार हो गईं थी.

एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता आभा ने कहा, 'राज्य सरकार डांस बार को विनियमित कर सकती है लेकिन उनपर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती.' सिंह ने आगे कहा, 'मैं खुश हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सीसीटीवी लगाए जाने वाले प्रावधान को निरस्त कर दिया.'

डांस बार फिर से खोलने के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मनजीत सिंह सेठी ने भी निर्णय का स्वागत किया. डांस बार मालिक संगठन के पूर्व अध्यक्ष सेठी ने कहा कि इससे हजारों बार डांसर को गरिमामय तरीके से जीने में सहयोग मिलेगा. बीजेपी के स्थानीय नेता प्रेम शुक्ला ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार कानून विशेषज्ञों से राय लेगी.

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बता दें कि न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया. इसमें सीसीटीवी लगाने की अनिवार्यता और बार रूम और डांस फ्लोर के बीच विभाजन जैसे प्रावधान शामिल हैं.

न्यायालय ने डांस बार में अपनी कला का प्रदर्शन करने वालों को टिप के भुगतान की तो अनुमति दी लेकिन कोर्ट ने कहा कि उन पर पैसे लुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया.

इसके साथ ही डांस बार के मालिक को 'अच्छे चरित्र' का होना चाहिए और कोई 'आपराधिक इतिहास (एंटीसिडेंट्स)' नहीं होना चाहिए, इस प्रावधान को भी हटा दिया. पीठ ने इन डांस बार के शाम 6 बजे से रात 11:30 बजे तक ही कार्यक्रम आयोजित करने की समय सीमा निर्धारित करने संबंधी प्रावधान सही ठहराया है.