शोपियां फायरिंग केस: सेना के खिलाफ FIR पर केंद्र और राज्य सरकार आमने सामने
सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि जवानों के ख़िलाफ़ एफआईआर पर क़ानूनी रोक नहीं है और अनिश्चितकाल तक जांच को रोका नहीं जा सकता।
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में प्रदर्शनकारियों पर सेना द्वारा गोली चलाए जाने को लेकर मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो या नहीं इस मामले में अब 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाया जा सकता है।
इससे पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि जवानों के ख़िलाफ़ एफआईआर पर क़ानूनी रोक नहीं है और अनिश्चितकाल तक जांच को रोका नहीं जा सकता।
वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य के पास सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करने का अधिकार नहीं है। इसलिए मेजर आदित्य व अन्य सेनाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर पर जांच पर रोक जारी रहेगी।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में 30 जुलाई को होने वाली सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि एएफएसए की धारा सात के तहत सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की इजाजत जरूरी है या नहीं। यानी कि कर्मवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए या नही?
बता दें कि मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्मवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए अपने बेटे के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से याचिका ख़ारिज़ करने की मांग की थी।
क्या है मामला
शोपियां में 27 जनवरी 2018 को सेना के काफ़िले पर नागरिकों द्वारा हो रही पत्थरबाजी को काबू में करने के लिए सेना की तरफ से फायरिंग की गई थी। इस फ़ायरिंग में 2 नागरिकों की मौत हो गई थी। जिसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
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