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राफेल डील को लेकर शिवसेना का बीजेपी पर हमला, कहा- अनुभवहीन कंपनी को क्यों दिया कॉन्ट्रेक्ट

राफेल डील को लेकर अब तक कांग्रेस बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) पर निशाना साध रही थी वहीं अब केंद्र में एनडीए सरकार की सहयोगी शिवसेना ने भी उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.

Updated on: 24 Dec 2018, 10:13 PM

नई दिल्ली:

राफेल डील को लेकर अब तक कांग्रेस बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) पर निशाना साध रही थी वहीं अब केंद्र में एनडीए सरकार की सहयोगी शिवसेना ने भी उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राफेल सौदे में बीजेपी पर इशारों-इशारों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, 'एक ऐसी कंपनी जिसे कोई अनुभव नहीं है उसे कॉन्ट्रेक्ट (राफेल का) दे दिया जाता है.'

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकर ने सोमवार को राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर वरिष्ठ सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि 'विश्वविजेता' बनने की पार्टी की धारणा हाल के विधानसभा चुनावों के नतीजे से चकनाचूर हो गयी. शिवसेना नेता शोलापुर जिले में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उनकी पार्टी केंद्र और राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार में घटक है.

विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार को लगातार निशाने पर लेते रहे ठाकरे ने कहा कि वह पहले ही निर्णय ले चुके हैं कि आगामी आम चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया जाए या नहीं.

शिवसेना प्रमुख ने जनवरी में घोषणा की थी कि उनकी पार्टी सभी भावी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने अकेले अपने बलबूते पर लड़ेगी.

पिछले छह महीने के दौरान बीजेपी नेतृत्व आगामी चुनावों में शिवसेना के साथ गठजोड़ पर जोर देती रहा है. अमित शाह की अगुवाई वाली पार्टी ने नियमित रुप से कहा है कि महाराष्ट्र केंद्रित यह राजनीतिक पार्टी उसकी स्वभाविक सहयोगी है और दोनों दल सौहार्द्रपूर्ण तरीके से मतभेद दूर कर लेंगे.

हालांकि पंढ़रपुर रैली में ठाकरे राजग के अपने बड़े सहयोगी को बख्शने के मूड नहीं नहीं दिखे.

उन्होंने कहा, ‘‘विश्वविजेता’ बनने की बीजेपी की धारणा पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे से चकनाचूर हो गयी. मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा के नतीजों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि मतदाताओं ने राष्ट्रीय दलों को नकार दिया है ओर मजबूत क्षेत्रीय दलों को चुना है . ’’

ठाकरे ने 2019 के आम चुनाव के लिए बिहार में जदयू, लोजपा और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम दे दिये जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘(जदयू प्रमुख) नीतीश कुमार और (लोजपा प्रमुख) राम विलास पासवान को राममंदिर और हिंदुत्व पर अपनी राय घोषित करनी चाहिए.’’

वहीं राम मंदिर मुद्दे को लेकर शिवसेना प्रमुख ने कहा, '30 साल के बाद भी आप कह रहे हैं कि मामला कोर्ट में है. हिंदू निर्दोष हो सकते हैं लेकिन बेवकूफ़ नहीं. संसद में इसी मुद्दे पर चर्चा करा लीजिए पता चल जाएगा कि एनडीए में कौन सा दल इस राम मंदिर पर सहमत है.' 

अयोध्या में विवादित स्थान पर राममंदिर के निर्माण के वास्ते दबाव बनाने के लिए पिछले महीने अयोध्या की यात्रा करने वाले ठाकरे ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी की शीघ्र यात्रा कर सकते हैं.

सैनिकों की समस्या को राफेल विवाद से जोड़ते हुए शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'हमारे देश के सैनिकों को तनख्वाह में बढ़ोतरी की जरूरत है, जो कि आप (बीजेपी) नहीं कर रहे हैं. लेकिन आप रक्षा सौदे में स्कैम कर रहे हैं.'

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 'कैग रपट' पर भरोसा जताते हुए राफेल मामले में दाखिल की गई सभी याचिकाओं को खारिज़ कर दिया था. इस मामले में कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कैग रपट का कोई भी हिस्सा न तो संसद में पेश किया गया और न ही यह सार्वजनिक है.

जिसके बाद कांग्रेस ने तथ्यात्मक गलती के जरिए सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने और झूठ बोलने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा, वहीं केंद्र ने फैसले में 'गलतियों को सुधारने के लिए' शीर्ष अदालत का रुख किया.

इस बीच कांग्रेस मामले के संबंध में महान्यायवादी और कैग को लोक लेखा समिति(पीएसी) के समक्ष तलब करने का दबाव बना रही है, वहीं केंद्र ने सर्वोच्च न्यायाल में याचिका दाखिल कर कहा है कि वह 'फैसले में गलतियों को सही करवाना चाहती है' और इसके साथ ही उसने दावा किया कि 'गलती शायद गलत व्याख्या की वजह से हुई है.'

दोनों पक्षों के बीच विवाद की मुख्य वजह फैसले का पैराग्राफ 25 है, जिसमें प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है, "विमान की कीमत की जानकारी हालांकि कैग के साथ साझा की गई और कैग रपट की जांच पीएसी ने की. रपट का केवल संपादित हिस्सा ही संसद में पेश किया गया और यह सार्वजनिक है."

लोक लेखा समिति(पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह महान्यायवादी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) को तलब करने का दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रपट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मीडिया से कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सही तथ्य पेश नहीं किए और अदालत में सरकार ने 'झूठ' बोला है.

उन्होंने कहा, "सरकार ने वहां दिखाया कि कैग रपट पेश की गई है और पीएसी ने उसकी जांच की है."

खड़गे ने कहा, "सरकार ने अदालत में यह झूठ बोला कि कैग रपट को सदन और पीएसी में पेश किया गया है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि पीएसी ने इसकी जांच की है. उन्होंने दावा किया कि रपट सार्वजनिक है. यह कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं पीएसी के अन्य सदस्यों के समक्ष इस मामले को ले जाने वाला हूं."

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मीडिया को संबांधित करते हुए कहा, "फैसले में तथात्मक गलती है, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है, न कि अदालत. अगर आप अदालत को गलत तथ्य देंगे और उस आधार पर अदालत तथ्यात्मक दावे करती है, तो इस मामले में सरकार जिम्मेदार है."

उन्होंने कहा, "हमें महान्यायवादी को पीएसी में तलब करना चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्यों इस प्रकार के दावे अदालत के समक्ष किए गए और क्यों ऐसे हलफनामे पेश किए गए, जो सच्चाई नहीं दर्शाते हैं."

पूर्व कानून मंत्री ने कहा, "अदालत के समक्ष इस तरह के गलत तथ्य पेश करने के लिए महान्यायवादी जिम्मेदार हैं. यह एक संगीन मुद्दा है और संसद में इसपर चर्चा होनी चाहिए. पीएसी महान्यायवादी को बुलाएंगे."

इस ओर ध्यान दिलाते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय ने कीमत के मुद्दे या फिर विमान के तकनीकी पहलुओं पर फैसला नहीं सुनाया, सिब्बल ने मोदी सरकार को फैसले को खुद के लिए क्लीन चिट बताने पर निशाना साधा.

सिब्बल ने बीजेपी के प्रमुख नेताओं द्वारा फैसले को मोदी सरकार के लिए क्लीन चिट बताने और कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाने वाले बयानों के संदर्भ में कहा, "यह बचकानी बात है कि सरकार और बीजेपी जीत का दावा कर रही है."

वहीं मामले में विपक्ष की ओर से जोरदार हमले झेल रही केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय में उपसचिव के जरिए फैसले के पैराग्राफ 25 में हुई गलती को सही करने का आग्रह किया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह गलत व्याख्या की वजह से हुआ और फलस्वरूप सार्वजनिक रूप से विवाद पैदा हुआ.

केंद्र ने कहा कि कीमत की जानकारियों के संबंध में बयान(फैसले के पैरा 25 से) के बारे में ऐसा प्रतीत होता है कि वह भारतीय संघ द्वारा 31 अक्टूबर को अदालत के निर्देश पर कीमतों के विवरण के साथ सौंपी कई टिप्पणी पर आधारित हैं.

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इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से सही है कि सरकार ने कैग के साथ कीमतों के विवरण साझा किए हैं.