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यशवंत सिन्हा को मिला शत्रुघ्न का साथ, बोले- सही जगह पर लगाया निशाना

बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के लेख का समर्थन किया है।

Updated on: 28 Sep 2017, 01:09 PM

नई दिल्ली:

भारत की गिरती अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर अब पार्टी के अंदर से भी विरोध के सुर उठने लगे हैं। गुरुवार को बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के लेख का समर्थन किया है।

उन्होंने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि यशवंत सिन्हा एक बड़े नेता हैं और वह देश के सबसे सफल वित्त मंत्रियों में रहे हैं। यशवंत सिन्हा ने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आईना दिखाया है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा, 'यशवंत सिन्हा एक सच्चे नीतीज्ञ हैं। उनकी बुद्धिमानी पहले भी परखी जा चुकी है। उन्होंने खुद को एक सफल वित्तमंत्री के तौर पर साबित किया है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में लिखकर लोगों को आईना दिखाया है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

ये पहली बार नहीं है कि जब किसी बीजेपी नेता ने आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी कई बार खुले मंच पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं। स्वामी बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली की काबिलियत पर भी प्रश्न चिह्न लगाते रहे हैं।

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी भी कई बार मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोल चुके हैं। वहीं संघ के विचारक और अर्थशास्त्री गुरुमूर्ति ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि देश की अर्थव्यस्था डूब रही है।

इतना ही नहीं एनडीए सरकार में सहयोगी दल शिवसेना ने भी यशवंत सिन्हा का साथ देते हुए सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा है कि वह देश की अर्थव्यवस्था की हालत पर यशवंत सिन्हा की टिप्पणियों को गलत साबित करके दिखाए। 

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' और 'दोपहर का सामना' में प्रकाशित संपादकीय में कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम जैसे अर्थशास्त्री कह रहे थे कि तो उन्हें पागल कहा गया और जब शिवसेना और अन्य ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए तो उन्हें देशद्रोही कहा गया। 

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बता दें कि बुधवार को यशवंत सिन्हा ने एक लेख के ज़रिए भारत की अर्थव्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे और मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा, 'नोटबंदी ने गिरती जीडीपी को और कमजोर करने में अहम भूमिका अदा की।'

पीएम मोदी पर तंज कसते हुए सिन्हा ने कहा, 'पीएम कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है, अब जिस तरीके से उनके वित्त मंत्री काम कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे सभी भारतीयों को गरीबी पास से दिखाएं। आज के समय में न ही नौकरी मिल रही है और न ही विकास तेज़ हो रहा है, जिसका सीधा असर इन्वेस्टमेंट और जीडीपी पर पड़ा है।'

सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दशकों में पहली बार निजी निवेश इतना कम हुआ और औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कृषि की हालत खस्ता हाल है, विनिर्माण उद्योग मंदी के कगार पर है और अन्य सेवा क्षेत्र धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, एक बाद एक सेक्टर संकट में है।

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वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने आग में घी डालने का और बुरी तरह लागू किए गए जीएसटी से उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है और कई इस वजह से बर्बाद हो गए हैं।

सिन्हा ने कहा, 'इस वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है और बाजार में मुश्किल से ही कोई नौकरी पैदा हो रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिर कर 5.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन पुरानी गणना के अनुसार यह वास्तव में केवल 3.7 प्रतिशत ही है।'

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जीडीपी दर गणना की पुरानी पद्धति वर्ष 2015 में नहीं बदली होती तो यह अभी वास्तव में 3.7 प्रतिशत या इससे कम रहती।

उन्होंने सरकार पर आर्थिक वृद्धि दर कम होने को तकनीकी वजह बताने की आलोचना करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के हवाले से कहा कि यह आर्थिक सुस्ती अस्थायी या तकनीकी नहीं है, यह फिलहाल बनी रहने वाली है।

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सिन्हा ने कहा कि आर्थिक गति कम होने की वजहों का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है और इससे निपटने के लिए उपाय उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके लिए कार्य पूरा करने के लिए समय देने, दिमाग का गंभीरता से उपयोग, मुद्दे को समझने और तब इससे निपटने के लिए योजना बनाने की जरूरत है।

पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि जेटली को वित्त मंत्रालय के अलावा और कई विभागों की जिम्मेदारियां भी दी गईं, जिससे उनपर अतिरिक्त जिम्मेदारियां आईं और शायद उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षा की गई।

उन्होंने कहा, 'मैंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला है और मुझे पता है कि वहां कितना कठिन परिश्रम करना पड़ता है। वित्त मंत्रालय में 24 घंटे सातों दिन काम करना पड़ता है, जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते हैं।'

सिन्हा ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि 'अगर मैं अब भी नहीं बोलूंगा तो यह मेरे राष्ट्रीय कर्तव्यों के साथ अन्याय होगा।'

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उन्होंने कहा कि मैं इस बात से भी सहमत हूं कि भाजपा में बड़ी संख्या में लोग इस बात को कहना चाहते हैं, लेकिन वे डर की वजह से कुछ नहीं बोल रहें हैं।

सिन्हा ने कहा है, 'जीएसटी के अंतर्गत एकत्रित 95000 करोड़ रुपये में इनपुट क्रेडिट डिमांड 65,000 करोड़ रुपये है। सरकार ने आयकर विभाग को बड़ी संख्या में दावा करने वाले को पकड़ने को कहा है।'

उन्होंने कहा, 'वित्तीय प्रवाह की समस्या कई कंपनियों, खासकर छोटे और मध्यम उद्योग (एसएमई) सेक्टर की समस्या है। लेकिन फिलहाल वित्त मंत्रालय का काम करने का यही तरीका है।'

सिन्हा ने कहा कि हम जब विपक्ष में थे तो हमने 'छापे मारी' का विरोध किया था, लेकिन आज तो यह जैसे व्यवस्था का हिस्सा बन गई है।

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