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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- शरद यादव अयोग्य घोषित हुए तो लौटाना होगा वेतन, सुविधाओं का भी करेंगे भुगतान

हालांकि हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि अगर फैसला शरद यादव के पक्ष में आता है तो उन्‍हें इन सुविधाओं के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना होगा।

Updated on: 01 Mar 2018, 07:13 PM

नई दिल्ली:

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से निष्कासित नेता शरद यादव की सदस्यता के मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर कहा है कि अगर वह अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं तो उन्हें अपना वेतन लौटाना होगा और ली गई सभी सुविधाओं के एवज में भुगतान भी करना होगा।

जस्टिस राजीव शकढेर की ये टिप्पणी तब आई जब जेडीयू के नेता चंद्रशेखर सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। याचिका में कहा गया है कि शरद यादव को मिलने वाली सुविधाएं, वेतन, अलाउंसेज़ और सांसद का बंगला दिये जाने की मिल रही सुविधा के संबंध में 15 दिसंबर के कोर्ट के आदेश में बदलाव किया जाए। 

हालंकि कोर्ट ने कोई आदेस पारित नहीं किया और  मामले की सुनवाई को 21 मार्च तक के लिये टाल दिया है। जिसमें कोर्ट ये तय करेगा कि शरद यादव की याचिका पर सुनवाई सिंगल जज करेंगे या फिर डिवीज़न बेंच करेगी। 

चंद्रशेखर सिंह ने शरद यादव को अयोग्य ठहराए जाने के मामले की सुनवाई डिविज़न बेंच से कराने के लिये कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की थी।

कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता पर नो वर्क, नो पे (काम नहीं तो दाम नहीं) के सिद्धांत के तहत विचार किया जाएगा।'

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चंद्रशेखर सिंह की याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया था कि 15 दिसंबर के अंतरिम आदेश में सुधार किया जाए। तब कोर्ट ने अपने आदेश में शरद यादव को अयोग्य ठहराए जाने पर रोक लगाने के इनकार कर दिया था। लेकिन उन्हें वेतन, बंगला, अलाउंस व पर्क और दूसरी सुविधाएं लेते रहने की अनुमति दी थी। 

शरद यादव के साथ ही जेडीयू के दूसरे राज्यसभा सांसद ने भी 4 दिसंबर को अपनी सदस्यता रद्द होने पर ऐसी ही याचिका दायर की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हए भी कोर्ट ने ऐसा ही आदेश पारित किया था।

हालांकि हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि अगर फैसला शरद यादव के पक्ष में आता है तो उन्‍हें इन सुविधाओं के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना होगा। 

शरद यादव को पार्टी से निकालने के बाद राज्यसभा की सदस्यता से भी अयोग्य ठहरा दिया गया था। जिसके बाद उन्‍हें मिलने वाली सरकारी सुविधाओं पर भी रोक लगाने की बात कही गई थी। इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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