सेक्शुअल ओरिएंटेशन को सुप्रीम कोर्ट ने माना निजता का महत्वपूर्ण अंग
सेक्शुअल ओरिएंटेशन को निजता का अहम अंग करार देने के बाद अब LGBT समुदाय की उम्मीद बढ़ी है।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शुअल ओरिएंटेशन को निजता के अधिकार के तहत महत्वपूर्ण अंग माना है। सेक्शुअल ओरिएंटेशन को निजता का अहम अंग करार देने के बाद अब LGBT समुदाय की उम्मीद बढ़ी है।
माना जा रहा है कि कोर्ट के इस कमेंट के बाद समलैंगिकता को अपराध मानने वाले आईपीसी के सेक्शन 377 को खत्म करने का रास्ता साफ हो सकता है। फिलहाल समलैंगिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेंच में सुनवाई चल रहा है।
नाज फाउंडेशन से संबंधित जजमेंट का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस सहित 4 जजों ने अपने जजमेंट में कहा कि सेक्शुअल ओरिएंटेशन (रुझान) निजता का महत्वपूर्ण अंग है।
धारा 377 को लेकर नाज फाउंडेशन के खिलाफ हाई कोर्ट के फैसले में इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी तब हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान धारा-377 यानी होमोसेक्शुअलिटी को अपराध करार दिया था। समाज के छोटे हिस्से LGBT (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) की ये बात है कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है।
हालांकि मामला अभी लार्जर बेंच में है। इस कारण इस पर फैसला लार्जर बेंच ही ले सकता है।
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