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SC/ST Act में किए गए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार शुक्रवार को देगी जवाब

एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलाव के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से और वक्त मांगा है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि वह शुक्रवार तक जवाब दाखिल करेगी.

Updated on: 22 Oct 2018, 01:30 PM

नई दिल्ली:

एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलाव के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से और वक्त मांगा है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि वह शुक्रवार तक जवाब दाखिल करेगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एससी/एसटी एक्ट के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान का विरोध किया गया है. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. लेकिन सरकार ने बदलाव कर रद्द किए गए प्रावधानों को दोबारा जोड़ दिया है. विरोधियों का कहना है कि सरकार की तरफ से कानून में हुआ बदलाव मौलिक अधिकारों का हनन करता है इसलिए कोर्ट इसे रद्द कर दे.

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बता दें कि SC/ST Act  में किए गए बदलाव को लेकर सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार से 6 हफ्तों में जवाब मांगा है. कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव के खिलाफ दायर कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस सरकार को जारी किया था हालांकि कोर्ट ने फिलहाल एक्ट में हुए संशोधन पर रोक लगाने से मना कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 20 नवंबर को सुनवाई करेगा.

क्या है एससी/एसटी एक्ट

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस कानून को लागू किया गया था. इस कानून के तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए है.

इन लोगों पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई है जिससे कि ये अपनी बात खुलकर रख सके. हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसमें कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा.

सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि इस तरह के मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी.

डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है?

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सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.