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राफेल डील से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट इसलिए कांग्रेस की जेपीसी मांग का कोई मतलब नहीं: अरुण जेटली

राफेल डील पर टेप विवाद के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस से कई सवाल पूछ लिए

Updated on: 02 Jan 2019, 04:55 PM

नई दिल्ली:

राफेल डील पर टेप विवाद के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस से कई सवाल पूछ लिए. वित्त मंत्री जेटली ने राफेल डील में विमानों की ज्यादा कीमत देने के आरोप पर कहा कि राफेल फाइटर जेट उड़ाने के लिए नहीं होते बल्कि उनमें लगे लड़ाकू उपकरणों से उनकी कीमत आंकी जाती है. जेटली ने कहा साल 2012 में इस सौदे के यूपीए के तत्कालीन रक्षा मंत्री ने ही मंजूरी दी थी. एनडीए के दौर में राफेल डील को बेहतर बताते हुए कहा कि हमें यूपीए के दौर से बेहतर विमानों की जरूरत थी और इसके लिए 74 बैठकें हुई थी. सरकार ने साल 2016 में डसॉल्ट के साथ इस फाइटर जेट के लिए समझौता किया और कोर्ट भी इस पूरी प्रक्रिया को उचित बताया है.

जेटली ने जेपीसी जांच की मांग को लेकर कहा हमने विमानों को 9 से 20 फीसदी तक सस्ता खरीदा है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले दाम को नहीं देखने का फैसला किया लेकिन बाद में दाम भी देखे. दाम देखने के बाद इसमें दखल देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हो गया लेकिन कांग्रेस संतुष्ट नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेपीसी जांच का मतलब नहीं रह जाता है. नीति के सवाल पर जेपीसी गठन होता है लेकिन जांच के मामले में जेपीसी की जरूरत नहीं है. बोफोर्स की जांच के लिए जेपीसी बनी थी और साबित हो गया था कि भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन फिर जेपीसी ने कांग्रेस को क्लिन चिट दे दी थी.

राफेल डील में भारतीय कंपनी के तौर पर एचएएल की जगह रिलायंस को पार्टनर बनाए जाने के कांग्रेस के सवाल पर अरुण जेटली ने कहा, राहुल गांधी ऑफसेट के बारे में नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा ऑफसेट कितने होंगे और कौन होंगे यह दसॉल्ट तय करता है जिस कंपनी का नाम लिया गया उससे 4 या 5 फीसदी का करार हुआ वह सिर्फ ऑफसेट स्पालायर है. लेकिन राहुल गांधी मानते हैं कि वह निर्माता कंपनी है. करार में कुल ऑफसेट 29 हजार के और कांग्रेस एक लाख 30 हजार करोड़ के एक कंपनी के ऑफसेट बता रही है.