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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान मुद्दा, SC 'नैतिकता की ठेकेदारी' के लिए नहीं, सरकार बनाए नियम

सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में अनिवार्य तौर पर राष्ट्रगान दिखाए जाने के अपने फैसले में किसी तरह के संशोधन से मना करते हुए केंद्र से इस मामले में फैसला लिए जाने का निर्देश दिया है।

Updated on: 24 Oct 2017, 12:06 AM

highlights

  • सिमेनाघरों में राष्ट्रगान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नैतिकता की ठेकेदारी करने के लिए नहीं बैठे हैं, मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2018 को होगी

नई दिल्ली:

सिमेनाघरों में राष्ट्रगान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है।

कोर्ट ने सिनेमाघरों में अनिवार्य तौर पर राष्ट्रगान दिखाए जाने के अपने फैसले में किसी तरह के संशोधन से मना करते हुए केंद्र से इस मामले में फैसला लिए जाने का निर्देश दिया है।

हालांकि अभी इस मामले में कोर्ट का पुराना आदेश बरकरार रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले देश के सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान दिखाए जाने का फैसला दिया था, लेकिन अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में केंद्र सरकार को फैसला करना होगा।

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गौरतलब है कि केरल फिल्म सोसाइटी ने राष्ट्रगान बजाने के कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा था कि कोर्ट को ऐसा आदेश नहीं देना चाहिए था।

उन्होंने कहा था, 'अगर ऐसा कोई नियम बनाना जरूरी है, तो यह सरकार पर छोड़ दिया जाना चाहिए।'

याचिकाकार्ता ने सिनेमा हॉल को मनोरंजन की जगह बताते हुए राष्ट्रगान बजाने के आदेश का विरोध किया था, जिससे बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ से सहमत नजर आए।

हालांकि अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट के आदेश का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि देश के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने में ऐसे फैसलों से मदद मिलती है और सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले देने का अधिकार है।

जस्टिस चंद्रचूड़ने कहा, 'लोग सिनेमा हॉल में मनोरंजन के लिए जाते हैं और उन्हें बिना किसी रूकावट के मनोरंजन मिलना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'कल कोई इस तरह की मांग भी कर सकता है कि लोग हाफ पैंट, टी शर्ट में राष्ट्रगान गाते हैं इससे राष्ट्रगान का अपमान होता हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नैतिकता की ठेकेदारी करने के लिए नहीं बैठे हैं। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2018 को होगी।

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