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सुप्रीम कोर्ट संकट: कांग्रेस ने जस्टिस लोया के मौत की जांच की मांग की, बीजेपी बोली- राजनीति नहीं

कांग्रेस ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए जस्टिस लोया की मौत की जांच कराने की मांग की है।

Updated on: 13 Jan 2018, 09:08 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के चार जज द्वारा सीजीआई (चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया) दीपक मिश्रा पर प्रशासनिक अनियमितताओं का आरोप लगाए जाने के मामले में अब बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) और कांग्रेस के बीच ज़ुबानी जंग तेज़ हो गई है।

कांग्रेस ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए जस्टिस लोया की मौत की जांच कराने की मांग की है तो वहीं बीजेपी ने इसे सुप्रीम कोर्ट का आंतरिक मामला बताते हुए कांग्रेस पर राजनीति नहीं करने की सलाह दी है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'यह बहुत संवेदनशील मामला है, चार जजों ने जो मुद्दे उठाए हैं वो बहुत महत्वपूर्ण है। जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है इस पर ध्यान देने की जरूरत है।'

राहुल गांधी ने कहा, 'यह अभूतपूर्व है, माननीय न्यायाधीशों द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान से देखे जाने की जरूरत है, यहां तक कि जस्टिस लोया की मृत्यु मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।'

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वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, 'यह सुप्रीम कोर्ट का आंतरिक मामला है, अटॉर्नी जनरल ने अपना बयान दिया है। इस पर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। न्यायपालिका पर राजनीति करना गलत है, कांग्रेस ने आज गलत किया। कांग्रेस अवसर ढूंढ रही है।'

पात्रा ने आगे कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक विषयों पर सड़क पर राजनीति करना गलत है। हमें आश्चर्य और दुख है कि कांग्रेस पार्टी जिसे चुनाव चुनाव दर मौका नहीं मिल रहा है ऐसे में इस तरह के मुद्दे पर राजनीति करके उन्होंने साबित कर दिया कि वो अवसर ढूंढ रहे हैं। कांग्रेस ने आज देश की जनता के सामने खुद को बेनकाब कर दिया।'

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'आज सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, इसके साथ ही एक वो पत्र भी जारी किया जो उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखा था। माननीय जजों की टिप्पणी बेहद परेशान करने वाली हैं। जजों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का लोकतंत्र पर दूरगामी असर होगा।'

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वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने भी 4 जज का साथ देते हुए कहा, 'जजों ने बहुत बलिदान दिए हैं और उनकी नियत पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, यह बेहद गंभीर मामला है। चारों जज बहुत ही ईमानदार है और वो याचिकाकर्ता की बाते जिस तरह से सुनते हैं और फैसला लिखते हैं, वो काबिले तारीफ है। जजों की वेदना को समझना चाहिए।'

स्वामी ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी इस मामले में दखल देने की मांग की है।

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा भी चारों जजों के फैसले के साथ खड़े नजर आए।

यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, 'सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस निश्चित रूप से अभूतपूर्व थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब राष्ट्रीय हित का दाव होता है तब व्यापार के सामान्य नियम लागू नहीं होते हैं।'

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एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मैं कुछ टिप्पणियां देख रहा हूं, चारों जजों के साथ अडिग होकर खड़ा हूं। उनकी आलोचना करने के बजाय उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बात करनी चाहिए। अगर शीर्ष अदालत समझौते पर चलती हैं तो लोकतंत्र को जोखिम में समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि चारों जज जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह एकदम साफ और तेज सुनाई देने वाला है। उम्मीद करता हूं कि जज लोया की मौत से परदा उठेगा।'

माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस बात को समझने के लिए पूरी जांच कराये जाने की जरूरत है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं ईमानदारी कैसे 'प्रभावित' हो रही है क्योंकि न्यायाधीशों ने कहा है कि कई 'कम वांछित' चीजें शीर्ष अदालत में हो रही हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभों के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उठाए गए मुद्दे सही हैं।

पूर्व केन्द्रीय विधि मंत्री और कांग्रेसी नेता अश्वनी कुमार ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि भारत के इतिहास में यह 'दुखद दिन' है कि न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत की घटनाओं को सार्वजनिक करने के लिए 'मजबूर' होना पड़ा।

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पीटीआई के मुताबिक वरिष्ठ जजों के सीजीआई पर आरोप लगाए जाने के बाद अटॉर्नी जनरल ने सीजेआई दीपक मिश्रा से मुलाकात की और उम्मीद जताई की मतभेद पैदा करने वाले सभी कारणों को शनिवार तक खत्म कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर लोगों से अपील करते हुए कहा था कि लोकतंत्र को बचाना है तो इस संस्था की रक्षा करें।

प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने चेलमेश्वर के घर पर प्रेस कांफ्रेंस की थी।

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि CJI को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कई बार मनाने की कोशिश की गई, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे प्रयास विफल रहे। उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रशासन सही से नहीं चल रहा है।

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