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RSS के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर बीजेपी नेता अनिल विज ने विपक्षी नेताओं का बताया 'भूत'

अनिल विज ने कहा कि आरएसएस देशभक्ति का मंदिर है और मंदिर में भूत पिशाच कभी नहीं जाते, उनको डर लगता है शायद इसलिए कुछ लोग उस मंथन शिविर में जाने का विरोध कर रहे हैं।

Updated on: 17 Sep 2018, 06:29 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 17 से 19 सितम्बर तक तीन दिनों के कार्यक्रम में विपक्षी पार्टियों के शामिल नहीं होने पर हरियाणा के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता अनिल विज ने उन्हें 'भूत' बताया और कहा कि वे आरएसएस जैसे 'देशभक्ति के मंदिर' में जाने से डरते हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस देशभक्ति का मंदिर है और मंदिर में भूत पिशाच कभी नहीं जाते, उनको डर लगता है। विज ने कहा कि शायद इसलिए कुछ लोग उस मंथन शिविर में जाने का विरोध कर रहे हैं।

अनिल विज का यह बयान तब आया है जब सोमवार से शुरू हुए आरएसएस के तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी के शामिल नहीं होने की बात सामने आई।

आरएसएस की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला सोमवार से शुरू हुई है जिसके केंद्र में हिंदुत्व है। लेकिन, इस कार्यक्रम में विपक्ष के शीर्ष नेताओं के शामिल नहीं हुए। इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ का विचार प्रस्तुत किया जाना है।

कार्यक्रम का शीर्षक 'भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण' रखा गया है। इसमें देश के कई प्रसिद्ध लोग भाग ले रहे हैं, इनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति व विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं।

अखिलेश यादव ने अपना फैसला बता दिया था, जबकि सीपीएम ने कहा था कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है। कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था, 'आरएसएस व भाजपा आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो।'

इसस पहले लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने आरएसएस की आलोचना करते हुए संगठन की तुलना सुन्नी इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी। उन्होंने कहा था कि आरएसएस भारत के हर संस्थान पर कब्जा करना चाहता है और देश के स्वरूप को ही बदलना चाहता है।

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उन्होंने कहा था, 'हम एक संगठन से संघर्ष कर रहे हैं जिसका नाम आरएसएस है जो भारत के मूल स्वरूप (नेचर आफ इंडिया) को बदलना चाहता है। भारत में ऐसा कोई दूसरा संगठन नहीं है जो देश के संस्थानों पर कब्जा जमाना चाहता हो।'

गौरतलब है कि 7 जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने की काफी आलोचना हुई थी और कांग्रेस पार्टी ने भी इसकी आलोचना की थी। आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और वह केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा का स्रोत है।

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प्रणब मुखर्जी ने उस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का एक महान सपूत' बताया। मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया था और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा था, 'मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं।'