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RSS के मुस्लिम विंग ने कहा, तीन तलाक की तरह बकरीद पर कुर्बानी 'हराम'

बकरीद पर कुर्बानी के नाम पर जानवरों की दी जाने वाली बलि का विरोध करते हुए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के मुस्लिम विंग ने कहा कि यह तीन तलाक की तरह ही हराम है।

Updated on: 30 Aug 2017, 06:58 PM

highlights

  • मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा, बकरीद पर कुर्बानी तीन तलाक की तरह ही हराम
  • आरएसएस के मुस्लिम विंग ने कहा, बकरीद के दौरान कुर्बानी देना इस्लाम में हराम है

नई दिल्ली:

बकरीद पर कुर्बानी के नाम पर जानवरों की दी जाने वाली बलि का विरोध करते हुए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के मुस्लिम विंग ने कहा कि यह तीन तलाक की तरह ही हराम है।

आरएसएस ने कहा कि मुस्लिम बकरीद के दिन अपने गलत कामों को त्यागें न की बकरे की कुर्बानी दें।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अवध प्रांत के संयोजक सैयद हसन कौसर ने कहा, 'तीन तलाक की तरह ही बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी एक कुरीति है। लोगों को कुर्बानी के समर्थकों का बायकॉट करना चाहिए। बकरीद के दौरान कुर्बानी देना इस्लाम में हराम है।'

लखनऊ के विश्व संवाद केंद्र में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच यूपी के सह-संयोजक अधिवक्ता खुर्शीद आगा ने कहा, 'बकरीद में कुर्बानी को लेकर समाज में अंधविश्वास फैला है, मुस्लिम अपने आपको ईमान वाले तो कहते हैं, लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है।'

उन्होंने कुर्बानी का विरोध करते हुए प्रश्न उठाया कि कुर्बानी जायज नहीं है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है? उन्होंने आयोध्या के विवादित ढांचे का जिक्र करते हुए कहा कि कुरान के अनुसार, जहां फसाद हो वहां नमाज अदा नहीं की जा सकती है तो फिर विवादित ढांचे की जगह मस्जिद कैसे बनाई जा सकती है।

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वहीं पूर्वी उप्र के मंच संयोजक ठाकुर राजा रईस ने कहा, 'जब हजरत इब्राहिम द्वारा किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी गई तो फिर मुस्लिम समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है। बकरीद में जानवरों की कुर्बानी के नाम पर जानवरों का कत्ल हो रहा है, यह कुर्बानी नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'रसूल ने फरमाया है, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत है, उन पर तुम रहम करोगे। अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी।' आपको बता दें की ईद-उल-अजहा या बकरीद इस बार 2 सितंबर को मनाई जाएगी।

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