बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों पर RSS ने अरुण जेटली, अमित शाह को दिये सुझाव
सबके सुझावों और प्रतिक्रियाओं को सही मानते हुए शाह और जेटली ने दिया उचित कार्रवाई करने का आश्वासन।
highlights
- आरएसएस ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली को आर्थिक नीतियों में सुधार करने के लिए अपने विशेष सुझाव दिए
- सबके सुझावों और प्रतिक्रियाओं को सही मानते हुए शाह और जेटली ने दिया उचित कार्रवाई करने का आश्वासन
- सरकार ने स्वीकारा 2016-17 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में आई गिरावट
नई दिल्ली:
मोदी सरकार अर्थव्यवस्था मामले पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है। ऐसे में आरएसएस और उससे जुड़े निकायों ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली को आर्थिक नीतियों में सुधार करने के लिए अपने विशेष सुझाव दिए हैं।
यह सुझाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), इसके संबद्ध संगठनों और भाजपा (बीजेपी) के बीच दो दिवसीय समन्वय बैठक के दौरान साझा किये गये।
बैठक में संघ संयुक्त महासचिव कृष्णा गोपाल, स्वदेशी जागरण मंच के आरएसएस-सहयोगी संगठन के नेता, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सहकार भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और लघु उद्योग भारती के नेताओं और सदस्यों ने भाग लिया।
शाह द्वारा भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हुए जेटली और कुछ अन्य मंत्रियों ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया था, उन्होंने कहा। वहीं अमित शाह, अरुण जेटली और कुछ अन्य मंत्रियों ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया था।
बैठक के दौरान आरएसएस ने केंद्र की आर्थिक नीतियों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुझाव साझा किए। स्वदेशी जागरण मंच ने चीनी आयात बढ़ने और स्वदेशी लघु उद्योगों पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में चिंता व्यक्त की।
भारतीय किसान संघ ने केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के नीचे किसानों को अनाज बेचने के लिए मजबूर होने का मुद्दा उठाया।
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सबके सुझावों और प्रतिक्रियाओं को सही मानते हुए शाह और जेटली ने उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
बता दें सरकार ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि 2016-17 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट आई है। साथ ही वर्ष 2015-16 में देश की जीडीपी 8 फीसदी से घटकर 7.1 फीसदी हो गई है।
हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेवा क्षेत्र और उद्योग में आई गिरावट की वजह से जीडीपी कमजोर हुई है।
लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा, '2016-17 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी होने के साथ-साथ जीडीपी के मुकाबले कम फिक्सड निवेश, कॉर्पोरेट सेक्टर की कमजोर बैलेंस शीट, क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट और कई वित्तीय कारणों से आर्थिक रफ्तार धीमी रही।'
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