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रोहिंग्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भावनाओं पर नहीं, सिर्फ कानूनी बिंदुओं पर हो सुनवाई

रोहिंग्या मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में सुनवाई सिर्फ कानूनी बिंदुओं पर ही होनी चाहिए भावनात्मक पक्ष पर नहीं।

Updated on: 04 Oct 2017, 07:59 AM

नई दिल्ली:

रोहिंग्या मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में सुनवाई सिर्फ कानूनी बिंदुओं पर ही होनी चाहिए भावनात्मक पक्ष पर नहीं।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार भेजने के फैसले दो रोहिंग्या मुस्लिम याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर को करेगा।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सरकार और रोहिंग्या मुस्लिम दोनों पार्टियों को ही अदालत के सहयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदायों समेत सभी ज़रुरी दस्तावेजों को संलग्न करने का निर्देश दिए हैं।

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जस्टिस एएम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इस संबंध में सरकार की पहलु समेत विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई करेगी। बता दें कि सरकार का पक्ष यह है कि याचिकाकर्ता अदालत के समक्ष आने के योग्य तक नहीं है।

रोहिंग्या मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने सरकार के पक्ष का विरोध किया था कि आर्टिकल 32 के तहत संविधान व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है।

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि सरकार इस मामले की सुनवाई टुकड़े-टुकड़े में नहीं करना चाहती और इसके व्यापक असर को देखते हुए इसकी विस्तृत सुनवाई के लिए दिन भर का वक्त दिया जाए।

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