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अयोध्‍या विवाद : SC में मोदी सरकार की अर्जी को किसी ने सराहा तो किसी ने कहा- राजनीति कर रही सरकार

सरकार चाहती है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे.

Updated on: 29 Jan 2019, 03:56 PM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर अयोध्‍या में जमीन का कुछ राम जन्‍मभूमि न्‍यास को देने की बात कही है. सरकार का कहना है कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एक़ड़ का है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्‍मभूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे. केंद्र सरकार के इस कदम के बाद से तमाम प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई हैं.

बीजेपी नेता राम माधव ने मोदी सरकार के इस कदम को बहुप्रतीक्षित बताया है. उन्‍होंने कहा- जमीन का अधिग्रहण 1993 में हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने वहां ज्‍यों का त्‍यों स्‍थिति बरकरार रखने के आदेश दिए थे. इसी कारण सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई है. 

मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है. दारुल उलम फिरंगी महली के प्रवक्ता और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निजामी का कहना है कि अर्जी दायर करने से एक और नया विवाद पैदा होगा. इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र सरकार राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को फिलहाल हल नही करना चाहती है.

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि केंद्र सरकार की यह पहल काबिल-ए-तारीफ है. इस भूमि पर कोई विवाद नहीं है. यह भूमि अधिग्रहित है. विवादित जमीन काफी कम है. भव्य राम मंदिर बनना है. अगर यह जमीन सुप्रीम कोर्ट छोड़ देता है, जिस पर बेवजह का स्टे है. अगर कोर्ट इस जमीन को छोड़ देता है तो यहां भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा, जो अच्‍छी बात होगी.

उत्‍तर प्रदेश सरकार के मंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि सभी हिन्दू चाहते हैं कि अयोध्या में मन्दिर का निर्माण होना चाहिए. सरकार का कदम ऐतिहासिक है.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास का कहना है कि केंद्र सरकार 2019 का लोकसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर न लड़कर मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर लड़ना चाहती है. यह अर्जी मामले को उलझाने की कोशिश है, क्योंकि केंद्र सरकार को खुद मालूम है कि इस पर उनको सुप्रीम कोर्ट से अभी कुछ हासिल होने वाला नहीं है.