राम विलास पासवान ने की न्यायपालिका में आरक्षण दिए जाने की मांग, कहा- भारतीय न्यायिक सेवा का हो गठन
दिल्ली में अंबेडकर मेमोरियल का उदघाटन और देश भर में अंबेडर जयंती जोर-शोर से मनाए जाने के बाद मोदी सरकार के मंत्री ने न्यायपालिका में भी आरक्षण दिए जाने की मांग की है।
highlights
- केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने की न्यायपालिका में आरक्षण की मांग
- पासवान ने की देश भर में न्यायिक सेवा के गठन की मांग
नई दिल्ली:
दिल्ली में अंबेडकर मेमोरियल का उदघाटन और देश भर में अंबेडर जयंती जोर-शोर से मनाए जाने के बाद मोदी सरकार के मंत्री ने न्यायपालिका में भी आरक्षण दिए जाने की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि आदर्श स्थिति के तौर पर भारतीय न्यायपालिका में भी आरक्षण होना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'आदर्श स्थिति में भारतीय न्यायपालिका में आरक्षण होना चाहिए।। लेकिन अघर हम यह मांग करेंगे तो सुप्रीम कोर्ट इसे असंवैधानिक करार देगा। इसलिए न्यायिक सेवा का गठन होना चाहिए। इसके लिए कंपीटिटिव एग्जाम होना चाहिए।'
पासवान की पार्टी लोक जनशक्कि पार्टी (एलजेपी) केंद्र में बीजेपी की सहयोगी है।
पासवान इससे पहले भी दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। आरक्षण को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर कथित रूप से भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए पासवान ने मोदी सरकार की तारीफ की थी।
पासवान ने कहा था कि आरक्षण के मसले पर मोदी सरकार की नीति और मंशा में कोई खोट नहीं है।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही बीजेपी ने देश भर में काफी उत्साह और जोर-शोर से अंबेडकर जयंती मनाई है।
अंबेडकर जयंती के दौरान मोदी ने विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए कहा था कि वह अति पिछड़े समाज से आते हैं और उनका देश का प्रधानमंत्री बनना बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की देन है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आयोजित जनसभा में 'जय भीम' के नारे लगाए और कहा कि आज 14 अप्रैल देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण दिन है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
मायावती ने कहा दलित कल्याण और दलित मसीहा भीमराव रामजी आंबेडकर के सम्मान को लेकर बीजेपी की कथनी और करनी एक दिखावा है।
'बाबासाहेब' की जयंती के मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा, 'मोदी और योगी दोनों ने ही उत्पीड़ित, अधिकारहीन और दलितों के लिए कुछ नहीं किया। वे समाज के इन वर्गो के उत्थान के कारणों पर केवल अपने होठ चला रहे हैं।'
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि योजनाएं लागू करना और बी आर आंबेडकर के नाम पर स्मारकों व इमारतों का नामकरण करना और दलित अत्याचार पर चुप रहने का दोहरा रवैया न तो बर्दाश्त किया जाएगा और न ही स्वीकार किया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'बीजेपी सरकार के तहत दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं।'
बीजेपी की सरकार पर एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधानों को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कई बेगुनाह लोगों पर दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान देश में हुई हिंसा के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत और दंगों के लिए झूठे मामले दर्ज किए गए।
उन्होंने कहा, 'अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत साफ है तो उन्हें अदालत के फैसले का इंतजार करने के बजाए एससी-एसटी अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाकर अध्यादेश जारी करना चाहिए।'
उन्होंने शीर्ष अदालत में एससी-एसटी अधिनियम मामले को शक्तिशाली तरीके से नहीं रखने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह इस बात को दर्शाता है कि वे दलितों के कल्याण के प्रति ईमानदार नहीं हैं।
62 वर्षीय नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए अंबेडकर का नाम लेना उचित नहीं है, क्योंकि प्रत्येक दिन वे जिस संविधान के सिद्धांतों को रौंद रहे हैं, वह महान दलित नेता के दिमाग की उपज है।
और पढ़ें: आरक्षण पर मोदी की नीयत में कोई खोट नहीं, हिंसा फैलाने की कोशिश में जुटा विपक्ष : पासवान
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