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उमर अब्दुल्ला के 'हॉर्स ट्रेडिंग' वाले बयान पर राम माधव का पलटवार, कहा- अपने विधायकों पर भरोसा नहीं क्या?

पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के ख़रीद-फ़रोख़्त वाले बयान पर बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि वो क्यों डरे हुए हैं क्या उन्हे अपने विधायकों पर भोरसा नहीं है।

Updated on: 09 Sep 2018, 11:55 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में सरकार गिरने के बाद से ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है। पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के ख़रीद-फ़रोख़्त वाले बयान पर बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि वो क्यों डरे हुए हैं क्या उन्हे अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है?

राम माधव ने उमर अब्दुल्ला पर हमला बोलते हुए कहा, 'वह इतना डरे हुए क्यों हैं? मुझे विश्वास है कि उनकी पार्टी के लोग उनके लिए वफ़ादार होंगे। हमारी तरफ से ख़रीद-फ़रोख़्त का कोई सवाल ही नहीं उठता। हमने अतीत में देखा है कि जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी में किस तरह ख़रीद-फ़रोख़्त हुआ है। किसी को इतिहास नहीं भूलना चाहिए।'

वहीं राम माधव से जब पूछा गया कि क्या यह फ़ैसला लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया तो उनका कहना था, 'पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) से गठबंधन तोड़ने का फ़ैसला किसी चुनावी विचार से नहीं बल्कि राष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के हित में लिया गया है। हमने सरकार गिराई है यहां के लोगों को नहीं छोड़ा है। हम लोगों की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे। हमारे पास आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने समेत, जनता के हित में काम करने को लेकर कई योजना है।'

बता दें कि बुधवार को एनसी (नेशनल कॉफ्रेंस) नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने पूर्व उप मुख्यमंत्री के 'हमलोग कुछ कर रहे हैं' वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा था कि कहीं अनजाने में उन्होंने किसी राज़ से पर्दा तो नहीं हटा दिया। 

उमर अब्दुल्ला ने पूर्व उप मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, 'हम लोग कुछ कर रहे हैं? इस 'कुछ' का मतलब केवल यही हो सकता है कि वो पार्टी तोड़कर पर्याप्त संख्या जुटाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि सरकार बनाई जा सके। क्या उन्होंने अंजाने में राज़ से पर्दा उठा दिया है।'

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अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा भंग कर नए चुनाव की रूप रेखा तैयार की जानी चाहिए। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने ख़ुद स्वीकार किया है कि सरकार बनाने के लिए ख़रीद-फरोख़्त हो सकती है, बीजेपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।'

गौरतलब है कि मंगलवार को बीजेपी ने अचानक ही पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना इस्तीफ़ा पत्र सौंप दिया।

जिसके बाद उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को राज्यापाल से मुलाक़ात कर जम्मू एवं कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग की। बता दें जम्मू-कश्मीर में कुल 87 विधानसभा सीट है। जिनमें से 28 पीडीपी, 25 बीजेपी, 15 एनसी और 12 कांग्रेस के पास है। फिलहाल किसी पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है।

सरकार गिरने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की मंजूरी दे दी।

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