राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश, भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर भारी हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित
महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। लोकसभा की कार्यवाही इस हंगामे की भेंट चढ़ गई लेकिन राज्यसभा में दोपहर बाद हंगामा हुआ।
highlights
- राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश, भीमा-कोरेगांव हिंसा की वजह से कार्यवाही स्थगित
- गुरुवार को सुबह 11 बजे स्थगित रहेगी कार्यवाही, कांग्रेस ने बिल पर कमेटी बनाने की मांग की
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ।
लोकसभा की कार्यवाही इस हंगामे की भेंट चढ़ गई लेकिन राज्यसभा में दोपहर बाद शुरू हुई कार्यवाही के बाद सरकार ने सदन में ट्रिपल तलाक बिल पेश किया।
दोपहर बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल पेश किया। गौरतलब है कि यह बिल लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।
राज्यसभा में बिल पेश करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में दहेज की वजह से एक महिला को तलाक दे दिया गया।
वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग की। उन्होंने इसके साथ ही इस कमेटी में शामिल किए जाने वाले सदस्यों के नाम का भी सुझाव दिया।
राज्यसभा में इस दौरान भीमा कोरेगांव को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त बयानबाजी हुई।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो संगठित तरीके से महाराष्ट्र के अंदर हिंसा कराई जा रही है और जिस प्रकार के भाषण दिए गए हैं, एक बार उस तरफ भी नेता प्रतिपक्ष थोड़ा ध्यान दें।'
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष कोरेगांव हिंसा की आड़ में ट्रिपल तलाक बिल को टालना चाह रहा है। उन्होंने कहा, 'भीमा कोरेगांव हिंसा का मामला जानबूझकर उठाया जा रहा है ताकि ट्रिपल तलाक बिल को रोका जा सके।' प्रसाद के इस बयान पर विपक्ष ने पलटवार किया।
राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हम कानून मंत्री बयान की निंदा करते हैं कि भीमा कोरेगांव हिंसा के मसले को उठाकर विपक्ष ट्रिपल तलाक बिल को रोकना चाहता है। हम दलितों पर होने वाले अत्याचार के मुद्दे को उठा रहे हैं क्योंकि यह सरकार दलित विरोधी है।'
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जेटली ने इस बिल को लेकर कांग्रेस पर दोहरे रुख का आरोप लगाया। जेटली ने कहा, 'पूरा देश देख रहा है कि आपने एक सदन में बिल का समर्थन किया और इस सदन (राज्यसभा) में आप इसका विरोध कर रहे हैं।'
उन्होंने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजे जाने की मांग का भी विरोध किया। जेटली ने कहा, 'हम इसलिए इस बिल को राज्यसभा नहीं भेज रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवहार को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है। दो जजों ने इसे अनुचित करार देते हुए इस पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी। यह अवधि 22 फरवरी को खत्म हो रही है।'
उन्होंने कहा, 'जजों ने कहा था कि हम इस पर 6 महीने के लिए रोक लगा रहे हैं और इस अवधि के भीतर कानून लाया जाए।' इसलिए देश में यह कानून लाया गया। हंगामे की वजह से 4 जनवरी सुबह 11 बजे तक के लिए राज्यसभा को स्थगित कर दी गई है।
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