राजनाथ सिंह ने कहा, अनुच्छेद 35ए पर कश्मीर की भावनाओं के खिलाफ नहीं जाएगी मोदी सरकार
जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे पर गये गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 35ए के संबंध में ऐसा कुछ नहीं करेगी जो कश्मीरी लोगों की उम्मीद व इच्छा के विरूद्ध हो।
highlights
- अनुच्छेद 35ए पर राजनाथ सिंह ने कहा, केंद्र ऐसा कुछ नहीं करेगी जो कश्मीरी लोगों की उम्मीद व इच्छा के विरूद्ध हो
- कांग्रेस ने बीजेपी पर उठाए सवाल, कहा- बीजेपी कभी 35ए के पक्ष में तो कभी विरोध में बात करती है, देश भ्रमित है
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे पर गये गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 35ए के संबंध में ऐसा कुछ नहीं करेगी जो कश्मीरी लोगों की उम्मीद व इच्छा के विरूद्ध हो।
इससे पहले कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से कहा कि वह अनुच्छेद 35ए पर अपना रुख साफ करे। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'बीजेपी को रुख साफ करना चाहिए। वह धारा 370 खत्म करने की बात करती रहती है। उसी तरह कभी 35ए के पक्ष में तो कभी विरोध में बात करती है। देश भ्रमित है।'
इस बीच राजनाथ सिंह ने श्रीनगर में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'मुझे लगता है इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का संदेह और भ्रम नहीं होना चाहिए। इस संबंध में केंद्र अदालत नहीं जाएगा और मैं इसके लिए आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो कुछ भी हमारी सरकार करेगी, वह लोगों की इच्छा और उम्मीद के खिलाफ नहीं होगा।'
उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना किसी मुद्दे के मुद्दा बना दिया गया।
यह पूछे जाने पर कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ(आरएसएस) के कार्यकर्ता और राज्य भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेता अनुच्छेद 35ए एवं 370 को निरस्त करना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा, 'बीजेपी एक राजनीतिक संगठन है, मैं भाजपा के एक नेता और देश के गृह मंत्री के तौर पर बोल रहा हूूं। मैंने जो भी इस मुद्दे पर कहा है उसे अंतिम माना जाना चाहिए।'
राज्य में राजनीतिक पहल पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में सिह ने कहा, 'मैंने यह गिनती कभी नहीं की है कि मैं यहां कितनी बार आया हूं। मैं यहां हमेशा खुले दिमाग से आया हूं, लेकिन लोगों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए।'
धारा 35ए को संविधान में राष्ट्रपति के आदेश पर 1954 में जोड़ा गया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार और सुविधाएं दी गई हैं और इसकी विधायका को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती।
इस प्रावधान के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को छोड़कर सभी भारतीयों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने व राज्य प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ पाने से रोका गया है।
इस धारा को दिल्ली के एनजीओ वी द सिटिजन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए इस मुद्दे पर पर्याप्त बहस करने की जरूरत है।
एनआईए कार्रवाई पर क्या बोले राजनाथ
अलगाववादी संगठनों के नेताओं की गिरफ्तारी के संबंध में गृहमंत्री ने कहा, 'राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी है और यह कानून के अनुसार अपना काम कर रही है लेकिन यह उन लोगों को नहीं रोकता जो सरकार से बातचीत करना चाहते हैं।'
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उन्होंने कहा, 'कानून अपना काम करेगी, लेकिन हम सभी से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। हमने बातचीत से कभी इंकार नहीं किया। सभी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल यहां आए थे और सभी से मिले, हमने इसका विरोध नहीं किया। मैंने पहले ही कहा है कि सभी साझेदारों का स्वागत है और जो भी हमसे बातचीत करना चाहता है, उनका स्वागत है।'
यह पूछे जाने पर कि क्या अलगावादियों को वार्ता के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया जाएगा, उन्होंने कहा, 'औपचारिक या अनौपचारिक क्या होता है? हमने सभी को निमंत्रित किया है। मैं आप सभी से घाटी में शांति स्थापित करने और प्रधानमंत्री मोदी के इरादों को समझने का आग्रह करता हूं जिन्होंने कहा है कि कश्मीरी समस्या कश्मीर के लोगों को गले लगाने से समाप्त होगी न कि गोली या गाली से।'
सिंह ने कहा, 'मैंने सुरक्षाबलों और प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जिन बच्चों को बहला-फुसला कर हिंसा के रास्ते की ओर धकेला जा रहा है, उन्हें अपराधी न मानें और जेल में न डालें।'
उन्होंने कहा, 'ऐसे भटके हुए बच्चों के साथ किशोर न्याय प्रणाली के तहत व्यवहार करना चाहिए और जेलों में बंद नहीं करना चाहिए। उन्हें समुचित सलाह देना चाहिए और प्यार से व्यवहार करना चाहिए।'
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