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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों का शपथ ग्रहण आज, विपक्षी एकता से सजेगा मंच

तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोहों में शामिल होने के लिए कई विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. उम्मीद है कि समारोह में देशव्यापी विपक्षी एकता का नारा भी बुलंद होगा.

Updated on: 17 Dec 2018, 07:40 AM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता से बाहर करने के बाद कांग्रेस के तीन नेता इन राज्यों की कमान संभालने को तैयार हैं. हिंदी बेल्ट की इन 3 प्रदेशों में कांग्रेस ने चुनाव नतीजों के बाद काफी जद्दोजहद कर मुख्यमंत्री उम्मीदवारों की घोषणा की है. सोमवार को अशोक गहलोत (राजस्थान), कमलनाथ (मध्य प्रदेश), और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोहों में शामिल होने के लिए कई विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. उम्मीद है कि इन शपथ ग्रहण समारोहों में देशव्यापी विपक्षी एकता का नारा भी बुलंद होगा.

राजस्थान और मध्य प्रदेश में सोमवार को मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, बीएसपी प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, फारूक अब्दुल्ला, शरद यादव, हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, राजू शेट्टी और इनके अलावा कई नेता शामिल हो सकते हैं.

राजस्थान में अशोक गहलोत लेंगे शपथ

राजस्थान में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में सुबह 10:30 बजे शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह जयपुर के अल्बर्ट हॉल में होगा. पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे.

जोधपुर के रहने वाले अशोक गहलोत (67) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 5 बार सांसद रह चुके गहलोत पांचवीं बार विधायक बने हैं. वे 1980 से 1999 तक 5 बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए थे.

मध्य प्रदेश में कमलनाथ लेंगे शपथ

वहीं मध्य प्रदेश में चुने गए मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल के जंबूरी मैदान में दोपहर 01:30 बजे शपथ लेंगे. राज्य के छिंदवाड़ा सीट से 9 बार सांसद रह चुके और मौजूदा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 15 साल के बीजेपी शासन का अंत होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं.

इस शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित अन्य दलों के नेताओं को भी बुलाया गया है. बता दें कि जंबूरी मैदान में ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शपथ लिया करते थे. कमलनाथ के साथ आरिफ अकील, सज्जन सिंह वर्मा, तुलसी सिलावट, गोविंद राजपूत, हुकुम सिंह कराड़ा, विजय लक्ष्मी साधौ, बिसाहूलाल सिंह, डॉ. प्रभुराम चौधरी, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, लक्ष्मण सिंह/जयवर्द्धन सिंह, हिना कांवरे, कमलेश्वर पटेल, तरुण भनोत और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। डॉ. गोविंद सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की चर्चा है।

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1979 में पहली बार छिंदवाड़ा से निर्वाचित होने के बाद 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए. कमलनाथ 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री, 1995 से 1996 तक केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से 2014 तक शहरी विकास मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे.

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल लेंगे शपथ

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल ने विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद रविवार को राजभवन जाकर सरकार गठन करने का दावा पेश किया था. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बघेल सोमवार शाम 4.30 बजे रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल 58 वर्षीय बघेल को पद एवं गोपीयता की शपथ दिलाएंगी.

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किसान परिवार से संबंध रखने वाले बघेल की छवि जुझारू नेता की रही है। उन्होंने सधी हुई रणनीति से कड़े मुकाबले में 90 में से 68 सीटें अपनी पार्टी को दिलाकर 15 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा की रमन सिंह सरकार को पटखनी दी.

खास बात यह कि बघेल का मुख्यमंत्री के रूप में चयन निर्विरोध और निर्विवाद रहा. मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में कोई खींचतान नहीं देखी गई. मुख्यमंत्री पद की रेस में चार नाम भले ही थे, लेकिन इस रेस में सबसे आगे प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का नाम चल रहा था.

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