कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर जताई पीएम बनने की इच्छा, कहा- मौका मिला तो जरूर बनूंगा देश का प्रधानमंत्री
यह पूछे जाने पर कि अगर विपक्षी दल ओर सहयोगी दल चाहेंगे तो उनका रुख क्या होगा, इस पर राहुल गांधी ने कहा, 'अगर वे चाहेंगे तो मैं निश्चित तौर (पर बनूंगा).'
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद अगर सहयोगी दल चाहेंगे तो वह जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे. गांधी ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ‘बहुत अधिक’ सीटें मिलेंगी. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री बनने की उनकी इच्छा व्यक्त किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि यह द्विस्तरीय प्रक्रिया है। पहला भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को हराना और दूसरा चुनाव बाद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में निर्णय लेना।
‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में गांधी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, 'विपक्षी दलों के साथ बातचीत करने के बाद यह फैसला किया गया कि चुनाव में दो चरण की पक्रिया होगी. पहले चरण में हम मिलकर भाजपा को हराएंगे. चुनाव के बाद दूसरे चरण में हम (प्रधानमंत्री के बारे में) फैसला करेंगे.'
यह पूछे जाने पर कि अगर विपक्षी दल ओर सहयोगी दल चाहेंगे तो उनका रुख क्या होगा, इस पर राहुल गांधी ने कहा, 'अगर वे चाहेंगे तो मैं निश्चित तौर (पर बनूंगा).'
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दअरसल, उनसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय उनके उस बयान का हवाला देते हुए सवाल किया गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी हुई तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे.
सरकार बनने की स्थिति में अपनी योजना का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा, 'कांग्रेस सत्ता में आयी तो मैं तीन काम करूंगा. पहला काम छोटे और लघु उद्यमियों को मजबूत करूंगा, दूसरा- किसानों को यह एहसास कराउंगा कि वे महत्वपूर्ण हैं. मेडिकल और शैक्षणिक संस्था खड़ी करेंगे.'
गांधी ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की वही स्थिति हो सकती है जो आज तेल के क्षेत्र में सऊदी अरब की है.
नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि आप किसी एक वर्ग के बारे में सोचकर देश को विकसित कर सकते हैं. समस्या यह है कि आज विभिन्न समूहों के बीच बातचीत नहीं हो रही है. छोटे-मध्यम स्तर के कारोबारियों पर ध्यान देना होगा. हमें नौकरियां पैदा करनी होगी. सबके बीच संवाद स्थापित करना होगा.'
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उन्होंने कहा, 'जो भी किसान चाहता हैं आप उनकी हर बात को पूरी नहीं कर सकते. जो भी उद्योग जगत चाहता है उनकी सारी मांग को आप पूरा नहीं कर सकते. लेकिन आपको इनके साथ संवाद करना पड़ेगा. संवाद ही समाधान निकलेगा.'
गांधी ने कहा, 'कोई भी गंभीर अर्थशास्त्री नोटबंदी के पक्ष में नहीं होगा. यह अतार्किक और हास्यास्पद चीज थी.'
उन्होंने कहा, 'जीएसटी पर हमारी सोच अलग थी. हम जीएसटी का सरल स्वरूप चाहते थे. जीएसटी का मकसद लोगों को परेशान करना नहीं था. क्या हमारे छोटे और मझोले कारोबारी जीएसटी से खुश हैं? वे खुश नहीं हैं. वे कह रहे हैं कि इसे सरल बनाइए क्योंकि यह हमें खत्म कर रही है.'
उन्होंने कहा, ' इस सरकार और हमारी सरकार में यह बुनियादी फर्क है कि हम भारत के लोगों पर विश्वास करते थे, लेकिन मौजूदा सरकार मानती है कि सारा ज्ञान उनके पास है और वे किसी से संवाद नहीं करना चाहते हैं.'
एनपीए को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ' कांग्रेस के समय दो लाख करोड़ रुपये का एनपीए था. इनके समय में 12 लाख करोड़ रुपये का एनपीए है. कृपया बताइए कि यह एनपीए इतना कैसे हुआ है?'
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मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े करते हुए गांधी ने कहा, ' पाकिस्तान का एक अलग तरह का पड़ोसी है. उसके यहां ढांचागत दिक्कतें हैं. वहां चार-पांच केंद्र हैं और यह समझ नहीं आता कि किससे बात करनी है. पाकिस्तान हमारे यहां आतंकी गतिविधियां करवाता है. उसकी बात अलग है. लेकिन दूसरे पड़ोसियों के साथ संवाद की बहुत संभावनाएं हैं.'
उन्होंने कहा, 'नेपाल एक मिसाल है. वह प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करता था, लेकिन दो महीने में ही उन्हें नापंसद करने लगा.'
गांधी ने कहा कि भारत को अमेरिका और चीन के बीच अपनी जगह बनानी होगी और यह सामरिक विदेश नीति से हो सकता है.
अपनी मां सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'मैंने अपनी मां से बहुत कुछ सीखा है. मेरी मां ने मुझे धैर्य सिखाया है. मैं पहले ज्यादा धैर्यवान नहीं था, लेकिन मेरी मां ने मुझे धैर्य सिखाया.'
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