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गुजरात में राहुल ने बढ़ाई BJP की बेचैनी, कांग्रेस के गढ़ अमेठी में शाह, ईरानी और योगी करेंगे रैली

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की ताबड़तोड़ रैली ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को असहज कर दिया है।

Updated on: 09 Oct 2017, 08:26 PM

highlights

  • गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की ताबड़तोड़ रैली ने भारतीय जनता पार्टी को असहज कर दिया है।
  • महीने भर के भीतर राहुल गांधी के दूसरी बार गुजरात दौरे के बाद बीजेपी उन्हें उनके घर में घेरने की रणनीति को तामील करने में जुट गई है
  • सोमवार को राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी की रैली होगी

नई दिल्ली:

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की ताबड़तोड़ रैली ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को असहज कर दिया है।

महीने भर के भीतर राहुल गांधी के दूसरी बार गुजरात दौरे के बाद बीजेपी उन्हें उनके घर में घेरने की रणनीति को तामील करने में जुट गई है।

बीजेपी ने राहुल गांधी को उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में घरेने की रणनीति बनाई है।

गुजरात में राहुल के लगातार हमले से बौखलाई बीजेपी अपनी नई रणनीति के तहत केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के नैशनल प्रेसिडेंट अमित शाह को अमेठी में एकसाथ उतार रही है।

सोमवार को बीजेपी के इन तीनों बड़े नेताओं की अमेठी में रैली होने जा रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव अभी चार साल दूर हैं वहीं लोकसभा चुनाव में करीब दो साल का समय है।

उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली दोनों को कांग्रेस का पारंपरिक सीट माना जाता रहा है।

बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों पर एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। पार्टी ने अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह राहुल को हरा नहीं पाईं।

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को लोकसभा की 80 सीटों में से 73 सीटों पर ऐतिहासिक जीत मिली थी। बाकी की पांच सीटें समाजवादी पार्टी को मिली जबकि कांग्रेस अपने दोनों पारंपरिक गढ़ रायबरेली और अमेठी को बचाने में सफल रही। 

हालांकि इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने में सफल रही।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अमेठी और रायबरेली में आंशिक सफलता मिली, जब वह इन दोनों संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले 10 विधानसभा सीटों में 6 जीतने में सफल रही।

जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इन 10 विधानसभा सीटों पर खाता भी नहीं खोल पाई थी। 

बीजेपी की पूरी कोशिश राहुल गांधी के गुजरात कैंपेन को पटरी से उतारने की है। कांग्रेस पहले से भी अमेठी में राहुल गांधी की गैर-मौजूदगी और इस क्षेत्र के 'विकास' को मुद्दा बनाती रही है।

सोमवार को होने वाली रैली से पहले अमेठी पहुंची स्मृति ईरानी ने कहा, 'गौरीगंज के पूर्व कांग्रेसी विधायक और करीब 60-70 प्रधान बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इन्होंने विकास नहीं होने की वजह से ऐसा किया।'

हमलावर राहुल, बचाव में BJP

राहुल गांधी इस बार तीन दिनों की गुजरात यात्रा पर है। इससे पहले वह चार दिनों की गुजरात यात्रा पर थे। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है, और आगामी विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है।

राहुल की बढ़ती सक्रियता, पटेलों की नाराजगी, आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा और पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस को समर्थन दिए जाने के संकेत ने बीजेपी को बचाव में ला ख़ड़ा किया है।

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2002 के बाद से गुजरात चुनाव एक लिहाज से एकतरफा रहा है। वह बेहद आसानी के साथ तीनों विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त देती रही। हालांकि पिछले तीन सालों में गुजरात के सियासी समीकरण करवट लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सबसे पहला झटका बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी का गुजरात से निकलकर दिल्ली आना रहा। पार्टी ने मोदी की जगह आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वह पटेल आंदोलन और उना आंदोलन को संभालने में विफल रही।

इन दोनों आंदोलनों की वजह से उनकी कुर्सी गई और पार्टी ने विजय रुपानी को मुख्यमंत्री बनाया। रुपानी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी गुजरात में बीजेपी के लिए स्थितियां पहले की ही तरह चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

AAP और कांग्रेस ने बढ़ाई मुसीबत

2002 के बाद से लगातार तीन कार्यकाल तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में ज्यादा आक्रामक रुख अख्तियार कर चुकी है। कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं।

अपनी पहली यात्रा में राहुल में बीजेपी से नाराज पटेलों के गढ़ माने जाने वाले सौराष्ट्र में लगातार कई सभाएं कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने पटेलों के असंतोष को पार्टी के पक्ष में करने की कोशिश की।

गुजरात में पटेल आंदोलन की अगुवाई कर चुके हार्दिक पटेल भी कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में समर्थन देने का संकेत दे चुके हैं।

राहुल ने गुजरात के दूसरे दौरे के दौरान सॉफ्ट हिंदुत्व का भी कार्ड खेला है। कांग्रेस की रणनीति बीजेपी को उसी की रणनीति के मुताबिक जवाब देने की है। यही वजह रही कि राहुल ने अपनी पहली यात्रा की शुरुआत द्वारकाधीश के दर्शन से की थी तो दूसरी तीन दिवसीय 'नव सृजन यात्रा' के दौरान उन्होंने नदियाड के संतराम मंदिर का दर्शन कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

इसके बाद राहुल गांधी ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। 

पीएम मोदी के विकास वाले एजेंडे पर तंज कसते हुए राहुल ने पूछा, 'गुजरात में विकास को क्या हुआ? ये कैसे पागल हुआ?' इसके बाद राहुल गांधी ने खेडा जिले के नदियाड में सरदार पटेल के पैतृक गांव जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

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राहुल से पहले बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने बीजेपी की 'गौरव यात्रा' की शुरुआत भी पटेल के गृह जिले से की थी।

गौरतलब है कि बीजेपी पटेल की विरासत पर दावा ठोंकते हुए यह बताने की कोशिश करती रही है कि कांग्रेस के शासनकाल में पटेल की विरासत में जानबूझकर कर नजरअंदाज किया गया।

वहीं पटेल को तवज्जो देकर बीजेपी गुजरात में नाराज पाटीदारों को मनाने की कोशिशों में लगी हुई है।

गुजरात में अभी तक बीजेपी कांग्रेस ही मुकाबला करती रही है। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।

आप की मौजदूगी, बीजेपी के लिए शहरी इलाकों में मुश्किल पैदा कर सकती है, वहीं नाराज पटेलों के कांग्रेस के पाले में जाने की आशंका बीजेपी को बेचैन कर रही है।

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