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सत्‍ता के सेमीफाइनल में राहुल गांधी ने मारी बाजी, ममता बनर्जी का यह सपना टूटा

पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) को तो धक्‍का लगा ही है, साथ ही एक और राजनीतिक हस्‍ती की परेशानी बढ़ गई है. राहुल गांधी के उभार से उस हस्‍ती का महत्‍वाकांक्षी सपना टूट सकता है.

Updated on: 13 Dec 2018, 04:32 PM

नई दिल्ली:

पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) को तो धक्‍का लगा ही है, साथ ही एक और राजनीतिक हस्‍ती की परेशानी बढ़ गई है. राहुल गांधी के उभार से उस हस्‍ती का महत्‍वाकांक्षी सपना टूट सकता है. हालांकि राहुल गांधी की जीत पर उन्‍होंने भी खुशी जताई थी पर कितनी खुशी होकर उन्‍होंने यह खुशी जताई, यह वहीं जान सकती हैं. हम बात कर रहे हैं पश्‍चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी की. दरअसल कांग्रेस को कमजोर होते देख ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्‍प बनने का सपना संजो रही थीं और विपक्षी छोटे-छोटे दलों को लामबंद भी कर रही थीं.

दरअसल, ममता बनर्जी पार्टी ने पश्‍चिम बंगाल की अधिकांश लोकसभा सीटों पर कब्‍जा जमाया था, वहीं कांग्रेस सांसदों की संख्‍या 45 पर आकर सिमट गई थी. कांग्रेस की कमजोर स्‍थिति देखकर ममता बनर्जी समेत कई नेता खुद को प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में देखने लगे. बिहार में कुछ दिनों के लिए महागठबंधन का हिस्‍सा बने जनता दल यूनाइटेड के नेता और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया जाने लगा था. हालांकि जल्‍द ही उन्‍होंने पाला बदल लिया था और एनडीए के बैनर तले आ गए थे. उसके बाद उनका नाम उस लिस्‍ट से हट गया.

बाद में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू का नाम भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में उछला. वहीं ममता बनर्जी खुद को सबसे प्रबल दावेदार मानकर चल रही थीं. वो कांग्रेस के भरोसे ही कांग्रेस की कमजोर स्‍थिति का फायदा उठाना चाहती थीं और देश के सबसे शक्‍तिशाली पद के लिए कसरत कर रही थीं. उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार निशाने पर लिया और खुद को उनके समकक्ष खड़ा करने की कोशिश की.

माना जा रहा है कि भले ही चुनावी नतीजों के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया पुराने रुख को ही पुष्‍ट करती है, लेकिन वह लंबे समय तक कांग्रेस को फ्रंटफुट पर खेलने देंगी, इसकी संभावना कम ही है. कभी टीआरएस (TRS) प्रमुख के. चंद्रशेखर के साथ मिलकर एनडीए के खिलाफ ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम चलाई थी, जिसे फेडरल फ्रंट नाम दिया गया था. हालांकि उनकी मुहिम बहुत आगे नहीं बढ़ सकी. कुछ समय से केंद्र सरकार से अलग होने के बाद चंद्रबाबू नायडू भी इस मुहिम को हवा दे रहे हैं.
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि एनडीए के खिलाफ ममता डटी रहेंगी, लेकिन लोकसभा चुनावों में राज्य में महागठबंधन को लेकर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता. माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेंगी, क्‍योंकि अभी उन्‍हें किसी पार्टी से खतरा नहीं दिख रहा है.