Pulwama Attack: आखिरकार कैसे हुई इतनी बड़ी घटना, उठे कई सवाल
इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 42 जवान शहीद हुए है. घटना के बाद से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है.
नई दिल्ली:
जम्मू एवं कश्मीर में 1989 में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद से हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले में एक आत्मघाती हमलावर ने गुरुवार को पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर अपनी विस्फोटकों से लदी एसयूवी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस से टकरा दी और उसमें विस्फोट कर दिया. इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 42 जवान शहीद हुए है. घटना के बाद से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. इस हमले के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है. आज सुबह 9:15 बजे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक बुलाई गई. लेकिन सवाल ये है कि ऐसी जघन्य घटनाओं से पहले जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए गए.
1. अधिकारियों ने अलर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं की ?
जानकारी के मुताबिक इस तरह के हमला का अंदेशा खुफिया एजेंसियों को पहले से था. खुफिया विभाग द्वारा 48 घंटे पहले ही हमले की संभावना के बारे में चेतावनी देने के बाद भी यह हमला हुआ.
खुफिया इनपुट में बताया गया था, 'बातचीत के इनपुट से खुलासा हुआ कि जेईएम ने जम्मू एवं कश्मीर में जिन मार्गो से होकर सुरक्षा बलों का काफिला गुजरता है, वहां आईईडी हमलों को अंजाम देने का संकेत दिया है. संगठन द्वारा अपलोड किया गया एक वीडियो भी साझा किया गया. विभाग ने सलाह दी थी कि आतंकवादियों के ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखने की जरूरत है.'
जानकार सूत्रों ने कहा कि खुफिया इनपुट को जम्मू एवं कश्मीर में सभी सुरक्षा बलों के साथ साझा किया गया था.
2. राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए को पूरी तरह से साफ क्यों नहीं किया गया ?
जानकारी के मुताबिक हमले को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने पूरे इलाके की रेकी की थी. क्योंकि विस्फोट ठीक उस वक्त हुआ जब सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था. जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर विस्फोट से भरी कार कैसे पहुंची यह एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है. वहीं जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक में कहा, 'हमारे पाल खुफिया जानकारी थी लेकिन हमसे चूक (लापरवाही) हुई क्योंकि हम हाईवे पर चलते हुए विस्फोटकों से भरे वाहन का पता नहीं लगा पाए या उसकी जांच नहीं कर पाए. हमें स्वीकार करना चाहिए कि हमसे गलती हुई है.'
3. क्या सिर्फ 'ऑपरेशन ऑल आउट' पर्याप्त है ?
साल 2017 में आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए भारतीय सेना ने अपने 'मास्टरप्लान' के तहत 'ऑपरेशन ऑल आउट' शुरू किया था. जिसमें घाटी में सेना ने करीब 225 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था. जिसके बाद सेना ने ऑपरेशन ऑल आउट पार्ट-2 की शुरुआत की. जिसके तहत घाटी में अपनी गतिविधि चला रहे 300 आतंकियों को खत्म किया जाएगा. लेकिन पुलवामा में हुए इतने बड़े आतंकी हमले के बाद नए रणनीति के साथ कान करने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें: पुलवामा आतंकी हमला: समीक्षा के लिए राज्यपाल सत्यपाल मलिक शीर्ष अधिकारियों के साथ करेंगे बैठक
4. कहां से आए इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक ?
पुलवामा हमले में करीब 300 किलोग्राम से अधिक का विस्फोट का इस्तेमाल किया गया है. इससे पता चलता है की आतंकवादी ने बहुत ही सावधानीपूर्वक इस योजना को बनाया था. अब बड़ा सवाल ये है कि इतनी अधिक मात्रा में विस्फोटक कहां से लाए गए. इन्हें एक साथ कैसे रखा गया. आखिर कैसे स्थानीय खुफिया विभाग इस तरह की साजिश का पता लगाने में नाकाम रही.
5: स्थानीय लोग अभी भी आतंकवादी समूहों में क्यों हो रहे हैं शामिल ?
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर अवंतीपोरा में गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जवानों पर हमला करने वाले आतंकी की पहचान आदिल अहमद के रूप में हुई है. फिदायीन हमला करने वाला यह आतंकी पुलवामा का ही रहने वाला है. हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने ली है.
जेईएम प्रवक्ता मुहम्मद हसन ने एक बयान में कहा कि हमले में दर्जनों गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया है. हसन ने कहा कि फिदायीन हमला करने वाला आदिल अहमद उर्फ वकास पुलवामा के गुंडीबाग का कमांडर था.
इसका मतलब साफ है कि सीमा पार बैठें आतंकी संगठन जानते है कि राज्य के अंदर उन्हें किसका और कैसे समर्थन हासिल करना है.
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