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पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान से छीना MFN स्टेटस, जानें क्या है मायने?

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर 'कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी' बैठक में पाकिस्तान को मिले इस दर्जे को 22 वर्षों बाद खत्म करने का फैसला किया गया.

Updated on: 15 Feb 2019, 02:02 PM

नई दिल्ली:

पुलवामा आतंकी हमले में 44 जवानों की शहादत के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन)' का दर्जा वापस ले लिया है. इस कदम के बाद भारत पड़ोसी देश से आने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा सकेगा. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पाकिस्तान का प्रमुख तरजीही राष्ट्र यानी 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया गया है. बता दें कि जम्मू एवं कश्मीर में गुरुवार को हुए भयावह आतंकवादी हमले के एक दिन बाद हुई सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया.

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर 'कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी' बैठक में पाकिस्तान को मिले इस दर्जे को 22 वर्षों बाद खत्म करने का फैसला किया गया. अब सवाल उठता है कि एमएफएन है क्या और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

एमएफएन है क्या?

एमएफएन एक आर्थिक दर्जा है जो दो देशों के बीच होने वाले 'मुक्त व्यापार समझौते' के तहत होता है और यह दर्जा एक देश दूसरे देश को देता है. एमएफएन का दर्जा मिलने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार की शर्ते एक जैसे रखने की बात निर्धारित होती है. जिन देशों को एमएफएन का दर्ज़ा मिलता है उन्हें व्यापार में बाकियों के मुकाबले कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती है. कम शब्दों में इसे इस तरह भी बयान किया जा सकता है. एमएफएन समझौते के तहत, डब्लयूटीओ के सदस्य देश अन्य व्यापारिक देशों के साथ गैर-भेदभावपूर्ण तरीके का व्यापार करने के लिए बाध्य है. खासकर सीमाशुल्क और अन्य शुल्कों के मामले में. 

एमएफएन का दर्जा से क्या है फायदा?

अगर किसी देश के पास एमएफएन का दर्जा है तो उनके लिए लोन एग्रीमेंट के तहत सामान्य देशों की तुलना में कम ब्याज़ दर तय किए जाते हैं. यानी सामान्य देश को एमएफएन दर्ज़ा प्राप्त वाला ब्याज़ दर नहीं दिया जा सकता है. उन्हें उसी वस्तु की अधिक क़ीमत चुकानी होगी. एमएफएन स्टेटस का इस्तेमाल लोन अग्रीमेंट और कमर्शल ट्रांजैक्शन दोनों में होता है.  गौरतलब है कि पाकिस्तान ने भारत को अब तक यह दर्ज़ा नहीं दिया है जबकि पाकिस्तान को भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) बनने के एक साल बाद 1996 में ही एमएफएन का दर्जा दे दिया था. व्यापार एवं शुल्क पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के आम समझौते (जीएटीटी) के तहत एमएफएन का दर्जा दिया गया था. भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे और दोनों डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं. इसका अर्थ है कि उन्हें माल पर सीमा शुल्क लगाने के संबंध में एक-दूसरे और डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के साथ तरजीही व्यापारिक साझेदार के रूप में व्यवहार करना होगा.

पाकिस्तान से एमएफएन दर्ज़ा छीनने का क्या होगा नुकसान?

छोटे और विकासशील देशों के लिए एमएफएन स्टेटस इसलिए ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे उन्हे बड़ी मार्केट तक पहुंचने में आसानी होती है साथ ही उन्हें सस्ते में वस्तुएं आयात और निर्यात करने का मौक़ा मिल जाता है. ज़ाहिर है एमएफएन स्टेटस के शर्त के मुताबिक़ उन्हें बाकी देशों के मुक़ाबले कम क़ीमत चुकानी होगी. ऐसे में अब पाकिस्तान को अन्य देशों से सामान आयात-निर्यात करने के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने होंगे.

वहीं भारत के साथ आयात-निर्यात की बात की जाए तो भारत का पाकिस्तान के साथ आयात कम है और निर्यात ज़्यादा. यानी कि भारत पाकिस्तान को ज़्यादा सामान देता है ऐसे में भारत को भी नुकसान होने की संभावना ज़ाहिर की जा रही है.

एक व्यापार विशेषज्ञ ने कहा कि इस दर्जे को वापस लेने का अर्थ है कि भारत अब पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर किसी भी स्तर तक सीमा शुल्क को बढ़ा सकता है. भारत-पाकिस्तान का कुल व्यापार 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर से मामूली बढ़कर 2017-18 में 2.41 अरब डॉलर हो गया है. भारत ने 2017-18 में 48.8 करोड़ डॉलर का आयात किया था और 1.92 अरब डॉलर का निर्यात किया था.

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भारत मुख्य रूप से कपास, डाई, रसायन, सब्जी, लौह और इस्पात का निर्यात करता है जबकि फल, सीमेंट, चमड़ा, रसायन और मसालों का आयात करता है.