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Pulwama Terror Attack: पुलवामा के बाद पाकिस्तान को लेकर क्या हो सकती है भारत की रणनीति

मारे पड़ोसी देश पाकिस्तान इस तरह के आतंकवादी संगठनों के लिए स्वर्ग बन चुका है. वहां आतंकवादियों को हीरो बनाया जा रहा है. जबकि इस तरह की घटनाओं पर पाक सरकार मौन है.

Updated on: 20 Feb 2019, 01:38 PM

नई दिल्ली:

अभी हाल ही में जम्मू - कश्मीर के पुलवामा जिले में घटित आतंकवादी घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया जिसमें आतंकवादी संगठन जैश - ए - मोहम्मद ने जवानों के बसों को निशाना बनाया और उससे एक बारूद लदी गाड़ी टकरा दी जिससे कि CRPF के कुल 40 जवान शहीद हो गए. इस आतंकी घटना ने आज सोचने को मजबूर कर दिया कि आतंकवाद से देश को कैसे निजात दिलाया जाए. जबकि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान इस तरह के आतंकवादी संगठनों के लिए स्वर्ग बन चुका है.

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वहां आतंकवादियों को हीरो बनाया जा रहा है. जबकि इस तरह की घटनाओं पर पाक सरकार मौन है. पाक में पनाह ले रहे आतंकवादी गिरोहों को संरक्षण पाक सरकार द्वारा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा है. तभी तो इस तरह की घटनाएं पड़ोसी देशों के भीतर एवं सीमा पर घट रही है. जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं, देश के भीतर देश के खिलाफ नारे लगने वालों की उपस्थिति, आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के संकेत मिलते है जिनके माध्यम से आतंकवादी देश की व्यवस्था में खलल पैदा करना चाहते है. इस तरह की घटनाओं को पैर पसारने में देश के राजनीतिक दल वोटों की राजनीति के लिये आतंरिक रूप से मददगार हो रहे है.

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जिसके कारण आज जम्मू - कश्मीर के पुलवामा जिले में इतने बडी आतंकी घटना को अंजाम देने में पाक में पनाह ले रहे आतंकवादी संगठन सफल हो गये. इस घटना ने एक बार फिर से पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया कि पड़ोसी देश पाकिस्तान से किस तरह के संबंध रखे जाएं, जिससे इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके. इस मामलें में यह तो तय है कि पाक सरकार आतंकवादी गिरोह से अपने आप को अलग किसी भी हाल में नहीं कर सकती. पाक में पल रहे आतंकवादी संगठनों को पाक के अलावे विदेश के अन्य देशों से भी अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण मिल रहा है जिसके माध्यम से वे देश के भीतर अशांति का महौल पैदा करने में आज तक सफल होते आये है. इस दिशा में पाक के अलावे देश के भीतर से भी संरक्षण मिल रहा है जिसके कारण आतंकवादी गतिविधियां पनाह ही नहीं ले रहीं, हमारी अस्मिता पर भी चोट कर रहीं है.

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इस दिशा में देश की सीमा एवं देश के भीतरी भाग में पनप रही आतंकवादी घटनाओं की पृष्ठभूमि पर विचार करना जरूरी है. आज देश में आतंकवादी हमले दिन पर दिन तेज होतें जा रहे है. सीमा पर आतंकवादी गतिविधियां राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में तेजी से उभरती नजर आ रही हैं. जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित विश्व को शांति संदेश देने वाला भारत हो रहा है. जहां धार्मिक एवं क्षेत्रवाद के उन्माद को भड़काकर अशांति फैलाने का प्रयास यहां किया जाता रहा है. जिसे प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रुप से आतंकवादी गतिविधियों को पनाह किसी न किसी रुप में यहां मिलता रहा है. इस तरह के परिवेश देश के अंदर तेजी से उभरते जा रहे हैं, जहां देश की सुरक्षा फिर से खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है. निश्चित तौर पर इस तरह की कार्यवाही देश को अशांत कर विकास मार्ग से अलग करने की सोची-समझी विश्व-स्तरीय चाल से जुड़ी लगती है. इस तरह की गतिविधियों को निश्चित तौर पर स्वार्थी तत्वों का संरक्षण मिल रहा है. जिनके लिये देश में अर्थ सर्वोपरि है.

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इस तरह के हालात उन सभी के लिये सोचनीय है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर चलते हैं. देश है तो राजनीति है, ऐसे हालात में एक-दूसरे पर टीका-टिप्पणी करने के बजाय सभी को मिलजुलकर आतंकवादी से जुड़ी हर गतिविधियों का विरोध करना चाहिए. जब हमारा पड़ोसी, पड़ोसी होने की परिभाषा को ही नहीं समझ पा रहा है फिर उसके साथ पड़ोसी धर्म निभाने की ऐसी कौनसी मजबूरी आ गई, जिसके तहत सभी बंद द्वार खोल दिये जाते रहे. इन्ही रास्तों से देश के भीतरी भाग तक आतंकवादी पसर गये. कब कहां बम विस्फोट हो जाय, कह पाना मुश्किल है. आज का समय राजनीति करने का नहीं रह गया है. वैसे आज पुलवामा की घटना ने सभी राजनीतिक दलों को इस दिशा में सोचने को मजबूर कर दिया है, जहां देश के सभी राजनीतिक दल इस मामलें में एक स्वर में मुखरित नजर आ रहे है. सभी इस मामलें में सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे है, यह एक शुभ संकेत है जिसके सहारे आने वाले समय में आतंकवाद से लड़ने एवं निजात पाने का सुगम रास्ता मिल सकता है. फिर भी इस दिशा में सभी को मिलकर देशहित में आवश्यक कदम उठाने होगे. जो देश के भीतर देश के खिलाफ नारे लगायें, जो देश की सेनाओं पर पत्थर फेंके, हमला करें ऐसे लोगों से किसी भी तरह की हमदर्दी नहीं रखनी चाहिए. ऐसे लोग इस देश के हो ही नहीं सकते जो देश में रहकर देश के खिलाफ अपनी गतिविधियां जारी रखे.

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देश में पनप रही निजी सेनाओं को रोका जान भी बहुत जरूरी है जिनके माध्यम से अतंकवादी गिरोह पांव पसार सकता है. पाक जो अपने यहां आतंकवाद को पनाह दे रहा है, उसके साथ राजनीतिक संबंध किस तरह रखा जाए, मंथन किया जाना चाहिए. सेना को पूरा अधिकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का मिलना चाहिए, जैसा पुलवामा की घटना के बाद सरकार ने निर्णय लिया है. इस मामलें में किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. सेना कर हर जवान हमारे लिये महत्वपूर्ण है जिसकी हिफाजत करना हर देशवासियों का कर्तव्य है. जब वह सुरक्षित है तो देश सुरक्षित है. आज आतंकवाद सभी के लिये चुनौती है, जिसके खिलाफ एक होकर हमें लड़ाई लडनी होगी. इसके लिये जरूरी है कि सबसे पहले अपनी सीमाओं से आतंकवादियों की घुसपैठ पर तत्काल रोक लगाने की ठोस कार्यवाही करें. इसके बाद देश की सीमा क्षेत्र एवं भीतरी भाग में फैले सक्रिय आतंकवादी संगठनों एवं उसकी गतिविधियों को तत्काल समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं. राजनीति एवं तुष्टीकरण की नीति का परित्याग करें. इस तरह के कदम बिना युद्ध के आतंकवाद को जड से समाप्त करने में मददगार साबित हो सकते हैं.

नोट - ये लेखक के अपने विचार हैं.