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राष्ट्रपति चुनाव में शरद पवार हो सकते हैं विपक्ष के उम्मीदवार, शिवसेना और वामदल का मिला साथ

शरद पवार ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से खुद को सार्वजनिक रूप से दूर रखा है।

Updated on: 25 Apr 2017, 10:10 AM

नई दिल्ली:

शरद पवार जुलाई महीने में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव से पहले कैंडिडेट तय करने को लेकर विपक्ष की ओर से राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है।

बताया जा रहा है कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव निर्विरोध कराने की भी पहल हो रही है और इस पहल के लिए विपक्ष की तरफ से अगुवाई कर रहे हैं एनसीपी के मुखिया शरद पवार।

शिवसेना ने भी शरद पवार के नाम पर अपनी सहमति दी है। शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत का कहना है कि राष्ट्रपति पद के लिए शरद पवार के नाम पर सर्वसम्मति बन जाती है तो बीजेपी को भी शरद पवार का समर्थन करना चाहिए।

हालांकि शिवसेना नेता संजय राउत याद दिला रहे हैं कि पार्टी की पहली पसंद मौजूदा स्थिति में अब भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ही हैं।

खबरों के मुताबिक, सीपीएम नेता प्रकाश करात और सीताराम येचुरी ने भी एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की है। सूत्रों के मुताबिक, मुलाकात का मकसद शरद को राष्ट्रपति चुनाव में मैदान में उतारने के लिए मनाना था। लेफ्ट का मानना है कि पवार में अतिरिक्त वोट खींचने की क्षमता है और वह एनडीए कैंडिडेट को कड़ी टक्कर पेश कर सकते हैं।

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दरअसल, वाम पार्टियों का शरद पवार को लेकर यह रुख इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि उनके पसंदीदा उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के विचार को खारिज कर दिया है।

यूपीए के एक नेता के मुताबिक, अंसारी एक ऐसे चुनाव में किस्मत नहीं आजमाना चाहते, जहां हार निश्चित हो। वहीं, जेडीयू नेता शरद यादव को चुनाव लड़ने में कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि इससे पहले वह 14 चुनाव लड़ चुके हैं।

वहीं, सीपीआई नेता डी राजा एनडीए से पहले राष्ट्रपति कैंडिडेट तय करने की संभावनाओं को खारिज करते हैं। उनका मानना है कि पहले सरकार को अपना कैंडिडेट तय करने देना चाहिए।

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इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही हैं। अगर सारे नेता अगले हफ्ते दिल्ली में होते हैं तो ऐसी बैठक मुमकिन है। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में राष्ट्रपति कैंडिडेट को लेकर शुरुआती चर्चा हो सकती है।

हालांकि खुद शरद पवार ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से खुद को सार्वजनिक रूप से दूर रखा है और उनकी पार्टी भी इस बात को दोहरा रही है

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