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राष्ट्रपति चुनाव 2017: पहले सिख और इकलौते महामहिम, ज्ञानी जैल सिंह

पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तीनों की ही पसंद रहे ज्ञानी जैल सिंह, जिनका असली नाम जरनैल सिंह था।

Updated on: 20 Jun 2017, 10:28 PM

नई दिल्ली:

ज्ञानी जैल सिंह, भारत के सांतवें और अब तक के पहले और इकलौते सिख राष्ट्रपति थे। पढाई से हमेशा जी चुराने वाले ज्ञानी जैल सिंह, स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए थे। राष्ट्रपति तद तक पहुंचने के लिए उनकी सीढ़ी बना उनका आध्यात्म और गांधी परिवार के साथ निकटता। 

पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तीनों की ही पसंद रहे ज्ञानी जैल सिंह, जिनका असली नाम जरनैल सिंह था। 

गुरुद्वारे में मत्था टिकाने वाले, आध्यत्म से जुड़े और सिखों के लोकप्रिय ज्ञानी जैल सिंह जब देश के प्रथम नागरिक बन कर जब राष्ट्रपति भवन में पहुंचे तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वो कभी देश के प्रथम नागरिक बनेंगे।

 

10 प्वाइंट्स में जानें देश के इकलौते सिख राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बारे में

1. 5 मई 1916 को पंजाब के फरीदकोट में जन्में जैल सिंह का नाम जनरैल सिंह था। 

2. पढ़ाई से कोसों दूर जनरैल सिंह ऊर्दू भाषा के बेहद करीब थे और संगीत से गहरी दोस्ती थी। 

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3. ग़रीब परिवार में जन्में जनरैल सिंह के पास हारमोनियम सीखने के लिए पैसे नहीं थे तो उन्होंने एक हारमोनियम बजाने वाले के यहां नौकरी कर ली और उसके कपड़े खाना बनाने के एवज में पैसों के बजाए हारमोनियम की तालीम ली। 

4. इसके बाद वो गुरुद्वारे में भजन कीर्तन करने लगे और संगीत की दिवानगी ने उन्हें गुरुद्वारे का 'वाचक'  बना दिया इसी के बाद इन्हें ज्ञानी की उपाधि दी गई। 

5. 15 साल की उम्र में वो अकाली दल के साथ जुड़ गए और ब्रिटिश सरकार के विरोध में काम करने लगे। इसी दौरान उन्होंने 5 साल की जेल की सज़ा भी काटनी पड़ी और उनकी प्रसिद्धी में इज़ाफा हो गया। 

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6. 1946 में फरीदकोट में जब अंग्रेजों ने उन्हें एक कार्यक्रम के दौरान तिरंगा फहराने से मना किया तो उन्होंने सीधा जवाहर लाल नेहरु को ख़त लिखा। जवाहर लाल नेहरु उनके निमंत्रण पर फरीदकोट आए और उनका जन समर्थन देख कर उन्हें कांग्रेस पार्टी से जोड़ लिया। 

7. इसके बाद उनके राजनीतिक करियर का आगाज़ हो गया। कृषि मंत्री (1951), राज्यसभा सदस्य (1956-62), पंजाब के मुख्यमंत्री (1972), गृह मंत्री (1980) और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति (1982) भी बनाए गए। 

8. उन्हीं के कार्यकाल में सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार भी चलाया, और सिख राष्ट्रपति होने के दौरान ही सिख विरोधी दंगे भी हुए।

9. ज्ञानी जैल सिंह के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल ने उनके बेटे राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करवाया। 

10. इन घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राष्ट्रपति के बीच तनातनी बढ़ गई और अपनी शक्ति का आभास कराने के लिए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने पॉकेट वीटो का इस्तेमाल करते हुए राजीव गांधी कैबिनेट द्वारा पास किए गए इंडियन पोस्ट ऑफिस अमेंडमेंट बिल को अनिश्चितकालीन के लिए अपने पास रोक लिया था। 

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