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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, लोगों का जानने का हक है कि वे किस तरह शासित हो रहे हैं

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) की तारीफ करते हुए कहा कि लोगों को जानने का अधिकार है कि उन्हें किस तरीके से शासित किया जा रहा है.

Updated on: 12 Oct 2018, 05:58 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) की तारीफ करते हुए कहा कि लोगों को जानने का अधिकार है कि उन्हें किस तरीके से शासित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को जानने का अधिकार है कि लोगों का पैसे कहां खर्च हो रहे हैं, सार्वजनिक और राष्ट्रीय संसाधनों का किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, कैसे सार्वजनिक सेवाओं को आप तक पहुंचाया जा रहा है और किस तरीके से सार्वजनिक कामों और कल्याणकारी योजनाओं का संचालन हो रहा है.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमें झूठे मामलों के खिलाफ सावधान रहना चाहिए क्योंकि वे आरटीआई का उपयोग अपने व्यक्तिगत लाभों के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि खासकर ऐसे समय में जब निजता एक महत्वपूर्ण बहस का हिस्सा हो चुका है इसलिए इसमें संतुलन बनाना काफी महत्वपूर्ण है.

राष्ट्रपति ने कहा कि आरटीआई नागरिकों और स्टेट के बीच में सामाजिक संबंधों में भरोसा को बढ़ाने का काम कर रहा है जहां एक-दूसरे के बीच विश्वास की जरूरत होती है. भारत ने आरटीआई एक्ट के तहत 5 लाख सूचना अधिकारियों को नियुक्त किया है. राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत आरटीआई इस्तेमाल में पिछड़ रहा है और कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं.

बता दें कि सूचना का अधिकार (RTI) कानून के इस्तेमाल को लेकर दूसरे देशों के मुकाबले भारत लगातार पिछड़ रहा है। 123 देशों में सूचना का अधिकार कानून के तहत लोगों को मिलने वाली जानकारी को लेकर रिपोर्ट सामने आई है कि जिसमें भारत चौथे नंबर से फिसल कर छठे नंबर पर पहुंच गया है।

भारत की रैंकिंग में यह गिरावट सिर्फ एक साल के भीतर आई है। जब साल 2011 में अलग-अलग देश में आरटीआई की स्थिति को लेकर रेटिंग की गई थी तो उस वक्त भारत दूसरे स्थान पर था और अब छठे स्थान पर पहुंच गया है।

यह रेटिंग एक्सेस इंफो यूरोप और सेंट्रल फॉर लॉ एंड डेमेक्रेशी की तरफ से जारी की गईी है। इसमें रिपोर्ट में इस आधार पर रैंकिंग की गई है कि किस देश में सूचना के अधिकार के लिए बना कानून किस तरीके से काम कर रहा है। इसके लिए 150 अंको का स्केल तय किया गया था जिसके तहत इन देशों के सूचना के अधिकार से जुड़े इस कानून की मजबूती और कमजोरी को आंका गया है।

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इस रैंकिंग में देशों को जो नंबर मिले हैं वो 61 अलग-अलग पैमाने पर आंके गए हैं जिसके तहत यह पता लगाया गया है कि सूचनाओं तक लोगों कि कितनी पहुंच है, सूचना मिलने में कितना समय लगा, सूचना को लेकर लोगों की क्या उम्मीद थी, सूचना को लेकर अपील, और सूचना लेने वाली की सुरक्षा और इस कानून का प्रचार प्रसार कितना किया गया।