logo-image

प्रीमियर ट्रेनों में किराये के अनुरूप सेवा सुधार की जरूरत : सीएजी

सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश प्रीमियर ट्रेन के यात्रियों ने सेवाओं को लेकर निराशाजनक जवाब दिया।

Updated on: 23 Jul 2018, 11:01 PM

नई दिल्ली:

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि प्रीमियर ट्रेन के किराये में वृद्धि के अनुरूप ट्रेनों में यात्री सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है।

सर्वेक्षण के अनुसार, प्रीमियर ट्रेनों के नियत समय पर परिचालन, शौचालयों और कोचों की सफाई में सुधार के साथ-साथ ट्रेन में दिए जा रहे आहार और बिस्तर (बेडरॉल) की गुणवत्ता में किराया वृद्धि के अनुरूप सुधार की आवश्यकता है।

सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश प्रीमियर ट्रेन के यात्रियों ने सेवाओं को लेकर निराशाजनक जवाब दिया। यात्रियों से किराये में वृद्धि के अनुरूप सेवाओं में सुधार को लेकर सवाल किए गए थे।

रेलयात्री वर्ग में राजस्व संग्रह में वृद्धि के मकसद से राजधानी, दुरंतो और शताब्दी जैसे प्रीमियर ट्रेनों में सितंबर 2016 में फ्लेक्सी फेयर (यानी मांग के अनुरूप किराये में वृद्धि) योजना शुरू की गई थी।

फ्लेक्सी फेयर के संबंध में यात्रियों की राय जानने के लिए सीएजी ने सर्वेक्षण के जरिए 16 शताब्दी और 11 राजधानी ट्रेनों के 806 यात्रियों से अप्रैल-मई 2017 के दौरान कई सवाल पूछे।

फ्लेक्सी फेयर सिस्टम में मूल किराया प्रत्येक 10 फीसदी सीटों की बुकिंग के बाद 10 फीसदी बढ़ जाता है।

और पढ़ें: रेलवे: चार्ट तैयार होने पर किराए में 10 फीसदी की छूट

हालांकि एसी-3 में अधिकतम वृद्धि 140 फीसदी और प्रथम श्रेणी के एसी व एग्जिक्यूटिव क्लास को छोड़कर बाकी श्रेणी के किराये में 150 फीसदी तक की वृद्धि होती है।

सीएजी के अनुसार, प्रीमियर ट्रेन के यात्रियों का कहना है कि किराये में वृद्धि के अनुरूप उन्हें सेवाएं नहीं मिलती हैं। यही नहीं, फ्लेक्सी फेयर लागू होने के बाद यात्रियों की संख्या में भी कमी आई है।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि यात्री किराये में वृद्धि के अनुरूप बेहतर सेवा की आकांक्षा रखते हैं। सर्वेक्षण में 495 यात्रियों ने रेलवे की सेवा को किराये में वृद्धि के अनुपात में निराशाजनक बताया।

वहीं 324 यात्रियों का कहना था कि भोजन की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है, जबकि 280 यात्रियों ने शौचालयों की सफाई को अपेक्षित नहीं बताया।

सर्वेक्षण में 445 यात्रियों ने प्रीमियर ट्रेनों की यात्रा को निराशाजनक बताया, जबकि 361 ने सकारात्मक जवाब दिया।

और पढ़ें: मॉब लिंचिंग पर मोदी सरकार सख्त, गृह मंत्री और गृह सचिव की अगुआई में दो उच्चस्तरीय कमेटी का गठन