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बापू के सिद्धांत में आज भी मानवता को एकजुट करने की शक्ति: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने कहा है कि महात्मा गांधी के सिद्धांत में ऐसे समय में भी मानवता को एकजुट करने की शक्ति है जब आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है।

Updated on: 02 Oct 2018, 08:10 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने कहा है कि महात्मा गांधी के सिद्धांत में ऐसे समय में भी मानवता को एकजुट करने की शक्ति है जब आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी सिद्धांतों के प्रति अपनी अंतिम सांस तक प्रतिबद्ध रहे। 21वीं सदी में भी महात्मा गांधी के विचार उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे और वे ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जिनका सामना आज विश्व कर रहा है।

कुछ अखबारों में प्रकाशित अपने ब्लॉग में मोदी ने कहा, ‘एक ऐसे विश्व में जहां आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है, वहां शांति और अहिंसा के महात्मा गांधी के सिद्धांत में आज भी मानवता को एकजुट करने की शक्ति है।’

महात्मा गांधी की 149वीं जयंती के अवसर पर अपने ब्लॉग में उन्होंने कहा कि बापू आज भी विश्व में उन लाखों-करोड़ों लोगों के लिए आशा की एक किरण हैं जो समानता, सम्मान, समावेश और सशक्तीकरण से भरपूर जीवन जीना चाहते हैं। विरले ही लोग ऐसे होंगे, जिन्होंने मानव समाज पर उनके जैसा गहरा प्रभाव छोड़ा हो।

मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने भारत को सही अर्थों में सिद्धांत और व्यवहार से जोड़ा था। सरदार पटेल ने ठीक ही कहा था, ‘भारत विविधताओं से भरा देश है। इतनी विविधताओं वाला कोई अन्य देश धरती पर नहीं है।’

उन्होंने कहा ‘‘ यदि कोई ऐसा व्यक्ति था, जिसने उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए सभी को एकजुट किया, जिसने लोगों को मतभेदों से ऊपर उठाया और विश्व मंच पर भारत का गौरव बढ़ाया तो वे केवल महात्मा गांधी ही थे। और उन्होंने इसकी शुरुआत भारत से नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका से की थी।'’

मोदी ने कहा कि ऐसे युग में जहां असमानताएं स्वाभाविक हैं, महात्मा गांधी का समानता और समावेशी विकास का सिद्धांत विकास के समाज के आखिरी पायदान पर रह रहे लाखों लोगों के लिए समृद्धि के एक नए युग का सूत्रपात कर सकता है।

उन्होंने कहा कि एक ऐसे समय में, जब जलवायु-परिवर्तन और पर्यावरण की रक्षा का विषय चर्चा के केंद्र में हैं, दुनिया को गांधी जी के विचारों से सहारा मिल सकता है।