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आधार कार्ड से जानकारी चुराने का खुलासा करने वाले पत्रकार के खिलाफ FIR दर्ज़

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकार के ख़िलाफ़ पुलिस केस दर्ज कराए जाने को लेकर आपत्ति ज़ाहिर की है।

Updated on: 07 Jan 2018, 08:51 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने UIDAI के डायरेक्टर की शिकायत पर आधार कार्ड को लेकर बड़ा खुलासा करने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ किया है।

पुलिस ने बताया है कि UIDAI के डायरेक्टर बीएम पटनायक ने पुलिस को बताया है कि दैनिक अख़बार 'द ट्रिब्यून' ने व्हाट्सएप पर एक सर्विस ख़रीदा है जिससे भारत की एक 1 अरब आबादी से संबंधित कोई भी जानकारी आधार कार्ड के ज़रिए चुराई जा सकती है।

पुलिस ने कहा, 'हमें इस संबंध में 5 जनवरी को शिकायत मिली थी और हमने उसी दिन FIR दर्ज़ कर लिया था।'

पुलिस को UIDAI की तरफ से शिकायत मिली थी कि ट्रिब्युन का एक संवाददाता रचना खैरा ने आदार संबंधित सारे डिटेल ख़रीद कर ख़ुद को खरीदनेवाला के तौर पर प्रस्तुत कर रहा है।

पुलिस ने कहा, 'FIR में संवाददात, पत्रकार और आधार कार्ड से गोपनीय जानकारी चुराने वाला सॉफ्टवेयर खरीदने में शामिल सभी लोगों के नाम दर्ज़ हैं लेकिन इन्हें आरोपी कै तौर पर नहीं दिखाया गया है।'

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकार के ख़िलाफ़ पुलिस केस दर्ज कराए जाने को लेकर आपत्ति ज़ाहिर की है।

बता दें कि 'द ट्रिब्यून' ने गुरुवार को एक खुलासा करते हुए बताया था कि मात्र 500 रुपये देकर किसी भी शख्स की आधार से जुड़ी सभी जानकारी खरीदा जा सकता है।

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'द ट्रिब्यून' ने रिपोर्ट में दावा किया है कि उसके एक संवाददाता ने 500 रुपये में एक अज्ञात शख्स से व्हाट्सअप के जरिये एक ऐसा साफ्टवेयर लिया जिसके जरिये भारत के लगभग एक अरब लोगों का आधार डाटा की जानकारी ली जा सकती थी।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मात्र 500 रुपये में भारत में अबतक बनाये गये सभी के आधार के सारे विवरण को पढ़ा जा सकता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्टर ने इस गिरोह को चलाने वाले एक एजेंट से संपर्क किया और उसे पेटीएम के जरिये 500 रुपये दिये। 10 मिनट के बाद एक शख्स ने उसे एक लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिया।

इसके जरिये पोर्टल पर किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी। इन जानकारियों में से नाम, पता, पोस्टल कोड, फोटो, फोन नंबर, और इमेल शामिल है। यहीं नहीं जब उस एजेंट को 300 रुपये और दिये गये तो उसने ऐसा साफ्टवेयर दिया जिसके जरिये किसी भी शख्स के आधार को प्रिंट किया जा सकता था।

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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस रैकेट में लगभग 1 लाख लोग शामिल है। ये लोग ऐसे हैं जिन्हें इलेक्ट्रानिक्स और तकनीकी मंत्रालय ने कॉमन सर्विस सेंटर्स स्कीम के तहत देश भर में आधार कार्ड बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस दौरान इन्हें UIDAI डाटा तक पहुंच दी गई थी। इन्हें विलेज लेवल एंटरप्राइज (VLE) कहा जाता है।

पिछले साल नंवबर में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिह की पत्नी साक्षी द्वार सरकार ने आधार डाटा लीक होने के खतरे को लेकर आगाह किया था जिसके बाद उनसे यह काम वापस ले लिया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक पैसे कमाने की लालच में लगभग एक लाख विलेज लेवल एंटरप्राइज ने आधार डाटा का गलत इस्तेमाल किया है।

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