पीएनबी फर्जीवाड़ा: वित्त मंत्री बोले, नियामकों की भी तय हो ज़िम्मेदारी
वित्त मंत्री ने विलफुल डिफॉल्टर्स को देश के लिए ख़तरा बताते हुए कहा कि ऐसे लोग असफल बिज़नेसमैन और बैंक धोखाधड़ी गतिविधियों से भी ज़्यादा ख़तरनाक है।
नई दिल्ली:
पंजाब नैश्नल बैंक फर्जीवाड़ा मामले के बाद इस तरह के कई और मामले बारी-बारी से सामने आ रही है। सभी बैंक अपने अकॉउंट्स चेक करने में जुट गई है कि क्या उनके यहां भी विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाली कंपनियां) वाला कोई मामला है।
इतना ही नहीं बैंक अथॉरिटी और रेगुलटरी संस्थाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं कि बिना जांच के इतनी बड़ी रकम उधार कैसे दी गई। साथ ही इस तरह के फर्ज़ीवाड़ा मामले को सामने आने में इतना वक़्त कैसे लग गया।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रेगुलटर्स (नियामकों) पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'यदि बैंकिंग सिस्टम या बैंक के किसी शाखा में धोखाधड़ी का मामला सामने आया और उसे किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की तो यह देश के लिए चिंता की बात है। इसी प्रकार अगर टॉप मैनेजमेंट और ऑडिटिंग सिस्टम ने लापरवाही की है तो यह भी चिंता की स्थिति है।'
उन्होंने आगे कहा, 'रेगुलेटर्स के पास काफी महत्वपूर्ण काम होता है। रेगुलेटर्स को आख़िरकार गेम के रुल भी तय करने होते हैं और सदैव अपनी तीसरी आंख खोलकर रखनी होती है। दुर्भाग्य से भारतीय व्यवस्था में सिर्फ राजनीतिज्ञों के लिए जवाबदेही है रेगुलेटर्स के लिए नहीं।'
वित्त मंत्री ने विलफुल डिफॉल्टर्स को देश के लिए ख़तरा बताते हुए कहा, 'ऐसे लोग असफल बिज़नेसमैन और बैंक धोखाधड़ी गतिविधियों से भी ज़्यादा ख़तरनाक है। समय-समय पर इस तरह की घटनाएं सरकार द्वारा इज़ ऑफ़ डुइंग जैसे प्रयास को पीछे ढकेल देती है और आर्थव्यवस्था पर धब्बा बनकर सामने आ जाती है।'
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आरबीआई का बयान
इससे पहले आरबीआई ने एक बयान जारी कर कहा कि देश में निगरानी को बेहतर करने के लिये चल रही कोशिशों के तहत सभी बैंकों को समय-समय पर एडवाइज़री जारी की जाती रही है। जिसमें बैंकों के कामकाज संबंधित संभावित खतरों का मैनेजमेंट भी शामिल है।
आरबीआई ने कहा, 'सभी बैंकों को गुप्त तरीके से इस बारे में अगस्त 2016 से कम से कम तीन बार सावधान किया गया था कि इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही कहा गया था कि वो इसके लिये सुरक्षा के मानकों को लागू करें।'
आरबीआई ने इस संबंध में आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डारेक्टर्स के पूर्व सदस्य वाईएच मालेगम की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति भी गठित करने का फैसला लिया है।
आरबीआई का कहना है कि ये कमिटी फ्रॉड का बढ़ते कारणों का पता लगाएगी और रोकने के उपाय बताएगी। बैंकों में होने वाले ऑडिट को और कैसे पुख्ता किया जाये इसपर सुझाव देगी।
इसके साथ ही वो असेट क्लासीफिकेशन और क्रेडिट पोर्टफोलियो के साथ निगरानी की समीक्षा और फर्जीवाड़े के मामलों को रोकने संबंधी उपायों को रोकने के लिये सुझाव भी देगी।
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क्या है मामला
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी में 11, 000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के फर्जीवाड़ा मामला का खुलासा हुआ है।
जिसमें ज्वेलरी डिज़ाइनर नीरव मोदी और उनके रिश्तेदार मेहुल चोकसी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन लोगों ने फर्जी एलओयू के माध्यम से लोन लिया।
इस फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ और आयकर विभाग जैसी एजेंसियां कर रही हैं।
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