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पटेलों की नाराजगी का जोखिम उठाने को तैयार नहीं बीजेपी, गुजरात में मोदी लगाएंगे बीजेपी का बेड़ा पार

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले नाराज पटेल वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए पटेलों का गढ़ माने जाने वाले सूरत में 12 किलोमीटर लंबा रोड शो करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी आज सूरत में पहली बार पटेलों से सीधे संवाद करेंगे।

Updated on: 17 Apr 2017, 12:07 PM

highlights

  • 2015 में आरक्षण आंदोलन के बाद से ही पटेल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं
  • पटेल आंदोलन के बाद उना में दलितों के आंदोलन की वजह से भी बीजेपी की संभावनाओं को झटका लगा है
  • चौथी बार सत्ता वापसी के लिए जरूरी पटेल वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ही बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो के लिए सूरत को चुना

New Delhi:

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले नाराज पटेल वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए पटेलों का गढ़ माने जाने वाले सूरत में 12 किलोमीटर लंबा रोड शो करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी आज सूरत में पहली बार पटेलों से सीधे संवाद करेंगे।

सूरत में पटेल समुदाय की बड़ी आबादी है और 2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान यहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। आरक्षण आंदोलन के बाद से ही पटेल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। पटेल वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ही बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो के लिए सूरत को चुना।

सूरत रोड शो के बाद यह बात साफ हो चुकी है कि गुजरात चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ही पार्टी का चेहरा होंगे। मोदी के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में बीजेपी के लिए स्थितियां मुताबिक नहीं रही है।

पिछले डेढ़ महीनों में प्रधानमंत्री मोदी के दूसरी बार गुजरात दौरे को देखकर इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

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पहले पटेल आंदोलन की वजह से जहां उसके परंपरागत वोट बैंक के टूटने का खतरा पैदा हुआ तो वहीं दूसरी तरफ उना में दलितों के साथ हुए अत्याचार को लेकर चले सामाजिक आंदोलन ने बीजेपी की चुनावी संभावनाओं को कमजोर किया।

उना कांड की वजह से बीजेपी को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल तक को कुर्सी से हटाना पड़ा।

गुजरात में बीजेपी के लिए पटेल बेहद अहम वोट बैंक रहा है, लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार के रवैयै को लेकर पटेल पार्टी से नाराज चल रहे हैं।

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पटेलों को मनाने के लिए हालांकि राज्य सरकार ने उन्हें आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया था, जिसे गुजरात हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। पटेलों के लिए यह कभी भी नहीं मिलने वाला आरक्षण था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और पटेलों ने भी सरकार के इस फैसले को चुनावी दांव करार दिया था।

2002 के बाद से बीजेपी गुजरात की सत्ता में रही है और इसमें पटेल वोट बैंक की अहम भूमिका रही है। चौथी बार सत्ता में आने के लिए भी उसे पटेल वोट बैंक की ही जरूरत होगी।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के बाद बीजेपी के लिए गुजरात चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है। गुजरात प्रधानमंत्री मोदी का गृह क्षेत्र है, ऐसे में विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं।

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