सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए बिल के खिलाफ याचिका, कहा-असंवैधानिक है बिल
सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए बिल के खिलाफ
नई दिल्ली:
मोदी सरकार द्वारा आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए बिल के खिलाफ " यूथ फॉर इक्विलटी " नामक संस्था ने जनहित याचिका दाखिल की है. संस्था की ओर से डॉ कौशल मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.बता दें सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए बुधवार को राज्यसभा से भी संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया. राज्यसभा में करीब 10 घंटे चली चर्चा के बाद इस विधेयक के पक्ष में 165 वोट पड़े और विरोध में सिर्फ 7 वोट डाले गए.
याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की गई है. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से आरक्षण देना गलत है और ये सिर्फ सामान्य श्रेणी के लोगों को नहीं दिया जा सकता है.याचिका में कहा गया है कि गैर-अनुदान प्राप्त संस्थाओं को आरक्षण की श्रेणी में रखना गलत है. याचिका में अपील की गई है कि इस बिल को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए. इसमें कहा गया है कि ये फैसला वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
यह भी पढ़ेंः सामान्य वर्ग को आरक्षण बिल पर राज्यसभा में रामदास अठावले का अनोख्ना अंदाज, सभी को किया लोटपोट
इस अहम बिल के दौरान चर्चा में राज्यसभा के कुल 39 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इससे पहले लोकसभा में मंगलवार को 323 वोटों के साथ यह विधेयक पारित हुआ था और विपक्ष में 3 वोट पड़े थे. अब इस विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा और मुहर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा. इस कानून के लागू हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार कर 60 फीसदी हो जाएगी. सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए बढ़ाया था. अब राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा.
यह भी पढ़ेंः गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का बिल राज्यसभा से पारित, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार
राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 पारित होने पर हम अपने संविधान निर्माताओं और महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. जिन्होंने एक मजबूत और समावेशी भारत की कल्पना की थी.
यह भी पढ़ेंः 2 दिन दिल्ली के रामलीला मैदान से चलेगी सरकार, बनाया गया पीएम का दफ्तर
इससे पहले उच्च सदन में भारी हंगामे के बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया. विधेयक को पेश करते हुए गहलोत ने कहा कि संविधान मौजूदा समय में आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है और इसके कारण सामान्य श्रेणी के गरीब लोग अवसरों से चूक जाते हैं. उन्होंने कहा, 'सामान्य वर्ग के गरीबों द्वारा शिकायत की गई थी कि वे सरकारी लाभों का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. यह निर्णय बहुत सोच-विचार के बाद लिया गया है. यह विधेयक गरीबों के उत्थान में मददगार साबित होगा.'
यह भी पढ़ेंः एक मगरमच्छ के मरने पर पूरे गांव वालों की आंखों में आंसू, जानें ऐसा क्या था उसमें
विधेयक पेश किए जाने के बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद एम कनिमोझी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के डी राजा और राष्ट्रीय जनता दल (राजेडी) के मनोज कुमार झा ने इसका विरोध किया और प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) के पास भेजे जाने की मांग की.कनिमोझी द्वारा विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग का प्रस्ताव सदन में गिर गया और इसके पक्ष में सिर्फ 18 वोट गिरे. वहीं इसके विरोध में कुल 155 वोट पड़े. वहीं अधिकतर पार्टियों ने इस बिल पर असहमति जताने और सरकार को घेरने के बाद भी समर्थन दिया.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Sheetala Ashtami 2024: कब है 2024 में शीतला अष्टमी? जानें पूजा कि विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
-
Chaitra Navaratri 2024: भारत ही नहीं, दुनिया के इन देशों में भी है माता के शक्तिपीठ
-
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार देश का शासक कैसा होना चाहिए, जानें