केरल बाढ़ : केंद्र के इंकार के बावजूद सीएम विजयन ने विदेश से मदद की लगाई उम्मीद, कहा- UAE से मिलेगा पैसा
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की 700 करोड़ रुपये की मदद मिलेगी।
तिरुवनंतपुरम:
केरल बाढ़ से राज्य को हुए हजारों करोड़ के नुकसान की भरपाई और लोगों के पुनर्वासन, राहत के लिए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की 700 करोड़ रुपये की मदद मिलेगी। बता दें कि केंद्र सरकार की विदेशी सहायता लेने से मनाही के बाद उठे विवादों के बीच उनका यह बयान आया है। केरल बाढ़ के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में राहत अभियान में मदद करने वाले आईएएस अधिकारियों को सम्मान देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में विजयन ने कहा कि कई देश राज्य की सहायता के लिए आगे आ चुके हैं।
केरल में बाढ़ से राहत के लिए UAE की 700 करोड़ रुपये की मदद और केंद्र सरकार द्वारा इसे नहीं स्वीकार करने के निर्णय पर विजयन ने कहा है कि उन्हें इस बात पर भरोसा नहीं है कि केंद्र का रुख इस तरह का बना रहेगा।
विजयन ने कहा कि राज्य को देश और विदेश से अच्छी मदद की जा रही थी और इसे सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने व्यापक बाढ़ से हुए नुकसान के लिए मुआवजे के बदले विदेश पैकेज की मांग कर चुकी है।
हालांकि विजयन ने यह भी कहा कि राज्य को हुए नुकसान पर पूरा मुआवजा केंद्र भी नहीं दे सकती क्योंकि इसकी सीमाएं है इसलिए राज्य को फंड की किल्लत से उबरने के लिए दूसरे संसाधनों को खोजना है।
यूएई से कथित तौर पर मिलने वाले 700 करोड़ रुपये की मदद को लेकर जहां केंद्र और केरल की पिनरई विजयन सरकार आमने-सामने हुई थी वहीं दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत अहमद अरबन्ना ने हाल ही में साफ कर दिया था कि ऐसी किसी रकम का ऐलान ही नहीं किया गया है।
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मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यूएई के अहमद अलबन्ना ने कहा था कि केरल में आए बाढ़ और उससे हुई बर्बादी का आकलन किया जा रहा है और ऐसे में अभी किसी अंतिम राशि का ऐलान नहीं किया गया है। जब उनसे मदद के लिए 700 करोड़ की रकम पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा अभी बाढ़ का आकलन जारी है और अंतिम परिणाम नहीं मिले हैं। इसिलए आर्थिक मदद की राशि का कोई अधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है।
इससे पहले पिनराई विजयन ने गुरुवार को कहा था कि बाढ़ आपदा में 483 लोगों ने अपनी जान गंवाई और बाढ़ से हुए नुकसान का अनुमान हमारे राज्य के वार्षिक खर्च से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा था कि नए आंकड़ों के मुताबिक, अब 59,296 लोग 305 राहत शिविरों में रह रहे हैं। कुल 57 हजार हेक्टेयर कृषि फसलें बर्बाद हो गईं।
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गौरतलब है कि साल 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने फैसला लिया था कि देश में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं और ऐसे किसी आपातकालीन स्थिति में अब विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि अब भारत अपने दम पर ऐसी समस्याओं से सफलतापूर्वक निपट सकता है और इसके लिए दूसरे देशों के वित्तीय मदद की जरूरत नहीं है।
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