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मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से जुड़ी खबरों के मीडिया कवरेज पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, सीबीआई को लगी फटकार

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण कांड मामले में पटना हाईकोर्ट ने इस केस से जुड़ी मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी है।

Updated on: 24 Aug 2018, 10:36 AM

नई दिल्ली:

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण कांड मामले में पटना हाईकोर्ट ने इस केस से जुड़ी मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी है। मामले की जांच कर रही सीबीआई के कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा नहीं करने पर जांच एजेंसी को फटकार लगाते हुए जांच से जुड़े तथ्यों के प्रकाशन और प्रसारण पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए इस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने सवाल पूछा कि जांच से जुड़ी बातें मीडिया में कैसे आ रही है और इससे जांच प्रभावित हो रही है।

इसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया कि अब इस मामले की कोई रिपोर्टिंग नहीं होगी। गौरतलब है कि मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड जांच की मॉनिटरिंग पटना हाई कोर्ट कर रहा है।

जांच के बीच में अधिकारी के ट्रांसफर पर कोर्ट ने उठाए सवाल

हाई कोर्ट ने इस मामले में बीच में ही जांच अधिकार के तबादले पर सवाल उठाते हुए कहा जब राज्य सरकार की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है तो ऐसे में जांच अधिकारी का तबादला कैसे हो गया। कोर्ट ने सीबीआई को इसमें स्थिति साफ करने को कहा है।

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कोर्ट ने सीबीआई की अब तक की जांच पर असंतुष्टि जताते हुए कहा मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। ऐसे में एजेंसी को हर तारीख पर जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के बेटे से भी पूछताछ कर चुकी है सीबीआई

सीबीआई शेल्टर होम के मुख्य संचालक और इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के बेटे को बालिका आश्रय गृह पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया था। जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने करीब 12 घंटों तक राहुल से पूछताछ की।

पूछताछ के बाद सीबीआई बालिका गृह से राहुल को लेकर निकल गई। सीबीआई की टीम बालिका गृह में अपने साथ जेसीबी मशीन लेकर पहुंची थी।इससे पहले भी जेसीबी मशीन से खुदाई की गई थी, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ था। इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि आश्रय गृह में फिर से खुदाई की जा सकती है।

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कैसे आया मामला सामने ?

गौरतलब है कि 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' द्वारा संचालित बालिका आश्रय गृह में 34 लड़कियों से दुष्कर्म की बात एक सोशल अडिट में सामने आई थी। बिहार समाज कल्याण विभाग ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा बिहार के सभी आश्रय गृहों का सर्वेक्षण करवाया था, जिसमें यौन शोषण का मामला उजागह हुआ था। इस सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।