तीन तलाक बिल लोकसभा में पास, पक्ष में 245 और विपक्ष में पड़े 11 वोट
गुरुवार को शीतकालीन सत्र के शुरू होते ही तीन तलाक़ बिल पर चर्चा शुरू हुई. वहीं विपक्ष बार-बार तीन तलाक बिल को संयुक्त चयन समिति के पास भेजने की मांग करने लगी. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि महिलाओं के हक़ के लिए सभी पार्टियां साथ आएं.
नई दिल्ली:
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 17 सितंबर 2018 को लोकसभा में नए सिरे से तीन तलाक़ बिल पेश किया गया. इससे पहले मॉनसून सत्र के दौरान तीन तलाक़ बिल को लोकसभा में पारित करा लिया गया था लेकिन राज्य सभा में यह पास नहीं हो पाया. जिसके बाद सितंबर महीने में तीन तलाक़ को लेकर मोदी सरकार अध्यादेश लेकर आई और इसे लागू करा दिया. बता दें कि अध्यादेश की अधितकम सीमा 6 महीने की होती है. इस दौरान सरकार को सत्र के दौरान बिल को दोनों सदनों मे पास कराना होता है, जिसके बाद वो पूर्णत: क़ानून बन पाता है.
गुरुवार को शीतकालीन सत्र के शुरू होते ही तीन तलाक़ बिल पर चर्चा शुरू हुई. वहीं विपक्ष बार-बार तीन तलाक बिल को संयुक्त चयन समिति के पास भेजने की मांग करने लगी. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि महिलाओं के हक़ के लिए सभी पार्टियां साथ आएं. बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक बिल कराने के लिए बीजेपी ने पहले ही अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हीप जारी किया है, वहीं कांग्रेस ने भी अपने सांसदों को व्हीप जारी कर सदन में उपस्थित रहने को कहा है.
कांग्रेस ने कहा कि हम यहां बैठने के लिए नहीं आए हैं हम आए हैं कि बदलाव करवा सकें. अगर सरकार हमारी बात नहीं मान रही है तो हम सदन से वॉक आउट कर रहे हैं.- मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता
मेरी गुजारिश है कि बिल को जॉइंट सिलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए, 15 दिन में इसपर रिपोर्ट तलब होः मल्लिकार्जुन खडगे
तीन तलाक बिल महिलाओं के समाज को तोड़ने के लिए लाया गया है. यह बिल आर्टिकल 14 के ख़िलाफ़ है क्योंकि पतिओं के ख़िलाफ़ धर्म के आधार पर भेदभाव करता है.- मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता
22 इस्लामिक मुल्कों ने भी 3 तलाक को नियंत्रित किया है, कई तरह के प्रावधान जोड़े गए हैंः रविशंकर प्रसाद
मामले में आपत्ति थी कि कोई पड़ोसी मामला न दर्ज करा दे और सुलह भी हो सकती है, इसलिए इनमें सुधार किए गएः रविशंकर प्रसाद, कानून मंत्री
अब सवाल उठाया जा रहा है कि पीड़ित महिलाओं को भत्ता और मुआवजा कैसे मिलेगा, इसे मजिस्ट्रेट के विवेक पर छोड़ दिया गयाः रविशंकर प्रसाद
जहां तक विपक्ष का सवाल है कि अध्यादेश क्यों लाया गया तो मैं सदन को बताना चाहता हूं कि इसे लाने के बाद तीन तलाक़ के मामलों मे कमी आई. हमें भरोसा था कि हम पहले क़ानून बना लेते हैं आगे सदन में सभी को मना लिया जाएगा.- रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय क़ानून मंत्री
महिला सशक्तिकरण को लेकर केंद्र सरकार हमेशा काम करती रही है इसलिेए तीन तलाक हमारे लिए राजनीति का विषय नहीं है. मैं सब को सुनता रहा लेकिन किसी ने कोई ठोस सुझाव नहीं दिया. बस सबने यह कहा कि इसे अपराध घोषित करना ठीक नहीं.- रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय क़ानून मंत्री
सुप्रीम कोर्ट ने सभी विषयों पर अध्ययन करने के बाद कहा कि जिसे क़ुरान में पाप माना गया है उसे क़ानून में सही कैसे माना जा रहा है?.- रविशंकर प्रसाद
महिलाओं के अधिकार को लेकर संसद में पहले भी क़ानून बने हैं लेकिन तीन तलाक़ का बिल ही विरोध क्यों हे रहा है.- रविशंकर प्रसाद
विपक्ष द्वारा दिए गए तर्क का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुझे ख़ुशी हुई कि सबने इसपर अच्छी चर्चा की लेकिन किसी ने इस बिल का समर्थन नहीं किया. रोटी काली होती है तो तीन तलाक़, पत्नी वकील बनना चाहती है तो तीन तलाक. फिर क्यों नहीं क़ानून लाना चाहिए?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, पूरे देश के मुस्लिम समाज की तरफ से इस बिल की मुख़ालफत करता हूं. 377 को आपने गैरअपराध घोषित कर दिया लेकिन तीन तलाक़ को आप अपराध घोषित कर रहे हैं. सबरीमाला मामले में आप मान्यता की बात करते हैं लेकिन तीन तलाक़ बिल लाकर आप मुस्लिम समाज की विश्वास के साथ छेड़-छाड़ कर रहे हैं. केंद्र सरकार को महिलाओं से कोई मतलब नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा लाया गया क़ानून धर्म के ख़िलाफ़ है. हम इस बिल को ख़ारिज़ करते हैं.
आरेजीड सांसद जय प्रकाश नारायण ने कहा, तीन तलाक़ बिल को जल्दबाजी में लाया गया. यह अच्छे दिन की निशानी नहीं है. मॉब लिंचिंग को लेकर सरकार क़ानून क्यों नहीं बनाती. देश के अंदर हिंसा भड़कायी जा रही है. केंद्र सरकार सत्ता के मद में चूर है और अनाप-शनाप बिल ला रही है. तीन तलाक़ बिल को लेकर क़ानून लाया तो गया है लेकिन यह बताइए कि अगर पति जेल जाता है तो पत्नी का खर्चा कौन उठाएगा? सरकार को इस पर भी विचार किया जाना चाहिए.
तीन तलाक़ को लेकर AIUDF सांसद, बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि इस बिल के आने से परिवारिक तनाव बढ़ेगा. इसलिए इसमें सुधार की जाए.
आप सांसद ने तीन तलाक़ बिल का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार इस क़ानून को लेकर संज़ीदा है तो क़ानून के अलावा उन्हें महिलाओं के मुआवजे का बारे में भी विचार करना चाहिए. इतना ही नहीं बीजेपी सबरीमाला मंदिर पर भी अपना पक्ष स्पष्ट करें.- धर्मवीर गांधी, आम आदमी पार्टी
शिरोमणि अकाली दल सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने तीन तलाक़ बिल का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस पीड़िता के साथ है या फिर शोषण करने वालों के.
आप तीन तलाक़ को लेकर क़ानून बना रहे हैं लेकिन उन महिलाओं के भरण पोषण को लेकर कोई खाका तैयार नहीं किया है. आप महिलाओं से कह रहे हैं कि आफ अपने पति को जेल भिजवा दो, ऐसे में परिवार के अंदर टकराव की स्थिति पैदा होगी. आप उन तमाम कई मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं इसलिए इसे जेपीसी में जाना चाहिए और क़ुरान के जानकारों को भी इसमें शामिल करना चाहिए.- रंजीत रंजन, कांग्रेस
जिस तरह की तलाक़ की चर्चा करके राजनीति हो रही है. हिंदुओं महिलाओं के साथ भी भेदभाव के कई मामले आते हैं आप उसे सदन में क्यों नहीं लाते हैं. अगर हिंदू परिवार में नशेड़ी पती होने की वजह से तलाक़ होता है तो मुस्लिम में भी होता है बस तरीक़ा अलग है. फिर हिंदू महिलाओं के तलाक़ पर चर्चा क्यों नहीं- रंजीत रंजन, कांग्रेस
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह इस्लाम धर्म से संबंधित मामला नहीं बल्कि एक सामाजिक कुरीति है. इसी तरह से सती प्रथा और बाल विवाह को भी खत्म किया गया था. इस्लामिक देशों ने दशकों पहले 3 तलाक की कुरीति को खत्म किया.
कुरान में किस आयात में तलाक-ए-बिद्दत का जिक्र है, बताए? सारा माजरा यह कहा जा रहा है कि सिविल मामलों को आप आपराधिक नहीं बना सकते, ट्रिपल तलाक में पहली बात ये है कि सारे अधिकार पुरुषों के हाथ में दे देती है जिसपर किसी भी विपक्षी सांसद ने बात नहीं की है- मीनाक्षी लेखी, बीजेपी
बीजेपी सांसद मिनाक्षी लेखी ने कहा कि सरकार महिलाओं के लिए काम कर रही है. बिल को राजनीतिक रूप न दिया जाए.
सरकार ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि इस पर राजनीति ना की जाए. वहीं कांग्रेस और टीएमसी सहित अन्य कई दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की है.
रविशंकर ने आगे कहा, 20 इस्लामिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है. तो भारत जैसा एक धर्मनिरपेक्ष देश ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? इस बिल को राजनीति के नजरिए से नहीं देखा जाए.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिसंबर में कांग्रेस ने इस बिल के समर्थन में वोट किया था. जनवरी 2017 से लेकर 10 दिसंबर तक देशभर में 177 ट्रिपल तलाक के मामले सामने आए.
ट्रिपल तलाक बिल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. यह न किसी जमात के खिलाफ है, न आस्था के खिलाफ न किसी कम्युनिटी के खिलाफ. लोगों ने तमाम आपत्तियां जताईं उसके हिसाब से बदलाव किए गए.
ट्रिपल तलाक बिल पर खड़गे ने कहा, धार्मिक मामलों में दखल से बचे सरकार. खड़गे ने कहा कि तीन तलाक़ बिल पहले जॉइंट सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. ट्रिपल तलाक बिल पर विस्तृत स्टडी की जरूरत, यह संवैधानिक मामला भी है.
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