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करतारपुर कॉरिडोर: इमरान खान ने कश्मीर का किया जिक्र, भारत ने जताया कड़ा एतराज

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को करतारपुर में कश्मीर का जिक्र किया जिसका विदेश मंत्रालय ने कड़ा एतराज जताया है.

Updated on: 29 Nov 2018, 12:04 AM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को करतारपुर कॅारिडर की आधारशिला रखी. इस मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के साथ दोस्ताना संबंधों की वकालत की. इमरान खान ने शिलान्यास कार्यक्रम में कहा कि अगर फ़्रांस और जर्मनी अपने अतीत को भूलकर शांति के साथ रह सकते है तो भारत-पाकिस्तान क्यों नहीं. कार्यक्रम में इमरान खान ने कश्मीर को राजनीतिक रंग दिया. अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'इंसान चांद पर पहुंच चुका है और हम एक मसला हल नहीं कर पा रहे हैं. हमारा मसला कश्मीर का है, अगर हम दृढ़ता से फैसले लेंगे तभी ये हल हो पाएगा. उन्होंने आगे कहा, 'हिंदुस्‍तान एक कदम आगे बढ़ाएगा, मैं दो कदम बढ़ाउंगा.'

भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर कड़ा एतराज जताया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह 'अनुचित' था और उन्होंने इस पवित्र अवसर का राजनीतिकरण करने का काम किया. भारत ने यह भी कहा कि जम्मू -कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. प्रवक्ता ने कहा, 'पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि वह अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को अवश्य पूरा करे और अपनी सीमाओं के अंदर हर तरह के आतंकवाद को बढ़ावा और पनाह देना बंद करे.'

पाकिस्तान के शिलान्यास समारोह से लौटीं हरसिमरत कौर बादल ने कहा, 'मैंने पाकिस्तान की मीडिया को कहा है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है. इस मामले पर कोई तोलमोल नहीं. मैंने स्पष्ट रूप से कह दिया है.'

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मालूम हो कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने नवजोत सिंह सिद्धू ,सुषमा स्वराज, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और राज्य मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को निमंत्रण दिया था. सोमवार को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू गुरदासपुर जिले के मान गांव में नए घोषित डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब रोड गलियारे की आधारशिला रखी थी.इससे पहले नवंबर में, पाकिस्तान ने गुरु नानक की 549वीं जयंती के जारी समारोहों के लिए सिख तीर्थयात्रियों को 3,800 से अधिक वीजा जारी किए थे. करतारपुर साहिब गलियारे के निर्माण की मांग भारत दो दशक से करता आ रहा है, जहां गुरुनानक का निधन 1539 में हुआ था. यह धार्मिक स्थल भारतीय सीमा से दिखाई पड़ता है.

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