पाकिस्तान ने कहा सबूत दे अमेरिका, फिर मिटा देंगे हक्कानी नेटवर्क का नामोनिशां
ट्रंप ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि पाक आतंकियों के लिए जन्नत बन गया है। उन्होंने कहा कि आतंकियों और अपराधियों को पनाह देने से पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान होगा।
highlights
- पाकिस्तान ने कहा अगर अमेरिका सबूत दें तो हक्कानी नेटवर्क पर करेगा कार्रवाई
- अमेरिका ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का गंभीर आरोप लगाया था
नई दिल्ली:
पाकिस्तान ने देश में फल-फूल रहे आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करने के लिए अमेरिका के सामने सबूत पेश करने की शर्त रखी है। पाकिस्तान ने कहा कि अगर अमेरिका हक्कानी नेटवर्क की मौजूदगी का सबूत देता है तो वह संयुक्त ऑपरेशन के जरिये इसे खत्म करने के लिए तैयार हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'यदि अमेरिका देश में खतरनाक आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी के बारे में सबूत उपलब्ध कराता है तो वह हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों को अमेरिका के साथ साझा सैनिक अभियान के जरिये खत्म करने को तैयार है।'
इससे पहले ट्रंप ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए जन्नत बन गया है। उन्होंने कहा कि आतंकियों और अपराधियों को पनाह देने से पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान होगा।
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पाकिस्तान पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्होंने कहा था कि पाक आतंकवाद के खिलाफ अपनी जंग को अमली जामा पहना कर दिखाए।
आसिफ, जिन्होंने हाल ही में वॉशिंगटन का दौरा किया और ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से मिले, ने बताया कि हमने ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों से पेशकश की है कि वह पाकिस्तान आएं और हक्कानी नेटवर्क से जुड़े सबूत उपलब्ध करायें।
उन्होनें कहा, 'अगर हक्कानी नेटवर्क से जुड़ी गतिविधियों का पता चलता है तो पाकिस्तानी सेना अमेरिका के साथ मिलकर उन्हें पूरी तरह से खत्म करने को तैयार है।'
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इस महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात कर उन्हें भी इसी तरह की पेशकश की थी।
अमेरिका की तरफ से लगातार हो रही आलोचना पर आसिफ ने कहा, 'अगर ट्रंप प्रशासन ने हम पर और दबाव डाला तो हमारे मित्र देश खासतौर पर चीन, रूस, ईरान और तुर्की हमारे पक्ष में खड़े होंगे। अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री हम पर तानाशाही करते हैं, तो हम उनकी तानाशाही मानने से इनकार कर देंगे। अब हम वह करेंगे जो हमारे देश के हित में होगा।'
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