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'स्मार्ट सिटी योजना' के लिए निर्धारित राशि का 7% ही हुआ खर्च

देश के 60 शहरों को हाईटेक बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई 9,860 करोड़ रुपये में से केवल 675 करोड़ रुपये ही अब तक खर्च हो पाएं है।

Updated on: 30 Dec 2017, 08:08 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना का काम काफी धीमी रफ़्तार से चल रहा है।

देश के 60 शहरों को हाईटेक बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई 9,860 करोड़ रुपये में से अब तक केवल 675 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाएं है, जो निर्धारित फंड का महज़ 7 फीसदी है। 

शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 40 शहरों के लिए जारी किए गए 196-196 करोड़ रुपयों में से सबसे ज्यादा 80.15 करोड़ रुपये अहमदाबाद ने खर्च किए हैं।

फंड का इस्तेमाल करने के मामले में 70.69 करोड़ रुपये के साथ इंदौर दूसरे नंबर पर है।

वहीं 43.41 करोड़ रुपये के खर्च के साथ सूरत तीसरे और 42.86 करोड़ रुपये के इस्तेमाल के साथ भोपाल चौथे नंबर पर है। रांची ने अब तक केवल 35 लाख, अंडमान निकोबार ने 54 लाख और औरंगाबाद ने 85 लाख रुपये खर्च किए हैं।

वहीं कुछ शहर ऐसे भी है जो अपने फंड से 1 करोड़ रुपये तक का इस्तेमाल नहीं कर पाएं हैं।

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शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक मंत्रालय ने शहरों के इस प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की है।

मंत्रालय के सूत्र ने कहा, 'शहरी विकास मंत्रालय खराब प्रदर्शन करने वाले शहरों से बात करके उन्हें प्रॉजेक्ट्स में तेजी लाने को कहेगा।'

111 करोड़ रुपये का शुरुआती फंड पाने वाले शहर में वडोदरा ने 20.62 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, वहीं सेलम ने 5 लाख, वेल्लोर ने 6 लाख और तंजावुर ने 19 लाख रुपये इस्तेमाल किए हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 90 शहरों को स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए चुना गया है। इनमें से हर शहर को केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के लिए 500-500 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। नियम के अनुसार सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए इन शहरों को स्पेशल परपस वीइकल(SPV) सेट करना होगा।

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हाल ही में शहरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप पुरी ने कहा था कि इस परियोजना का प्रभाव 2018 के मध्य से दिखना शुरू हो जाएगा, लेकिन आंकड़े इससे अलग दिख रहे हैं।

स्मार्ट सिटी परियोजना को प्रमोट करने के लिए जून 2018 में केंद्र सरकार अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरों को 'स्मार्ट सिटी अवार्ड्स' देन जा रही है।

कुछ दिन पहले हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि एक ओर जहां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार में स्मार्ट सिटी परियोजना पर अच्छा काम हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र को परियोजना पर तेजी से काम करने की जरूरत है।

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