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CBI अधिकारी ने NSA अजित डोभाल पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- अस्थाना के खिलाफ जांच में लगाया अड़ंगा

सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को वरिष्ठ अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी का नाम लिए जाने के बाद और गहरा गया.

Updated on: 19 Nov 2018, 09:58 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को वरिष्ठ अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा (Manish Kumar Sinha) द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) और केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी का नाम लिए जाने के बाद और गहरा गया. सिन्हा ने इन पर सीबीआई( Cbi) के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) के खिलाफ जांच में कथित हस्तक्षेप के प्रयास करने के आरोप लगाये.

इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वी के चौधरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. प्रतिक्रिया देने के लिए डोभाल से सम्पर्क नहीं हो पाया. मंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि वह इस मामले से अवगत नहीं हैं.

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सिन्हा, अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच कर रहे हैं. उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कई संवेदनशील आरोप लगाये. याचिका में उनका तबादला नागपुर किए जाने के आदेश को खारिज करने के बारे में तुरंत सुनवाई करने का आरोप लगाया गया है.

सिन्हा की ओर से पेश हुए वकील सुनील फर्नांडिस ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल ने याचिका में स्तब्ध करने वाले कुछ खुलासे किए हैं. उन्होंने अनुरोध किया कि मंगलवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा (Alok Verma) के अनुरोध के साथ उनकी याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.

पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल हैं. सिन्हा के वकील के इस अनुरोध पर पीठ ने कहा, ‘हम किसी भी चीज से स्तब्ध नहीं होते.’ पीठ ने वकील से कहा कि जब वर्मा की याचिका पर सुनवाई हो तो वह न्यायालय में उपस्थित रहें. वर्मा ने अपनी याचिका में उनके अधिकार छीने जाने और उन्हें अवकाश पर भेजने के आदेश को चुनौती दी है.

सिन्हा ने दावा किया कि नागपुर में उनका तबादला करने से उन्हें अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच करने वाले दल से अलग कर दिया गया है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह स्थानांतरण मनमाना, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण है. इसका एकमात्र उद्देश्य अधिकारियों को शिकार बनाना है क्योंकि जांच से चंद ताकतवर लोगों के विरूद्ध पुख्ता सबूत मिले हैं.’

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आंध्र प्रदेश काडर के 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी सिन्हा ने अपनी 34 पृष्ठों की याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक ने अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बारे में डोभाल को 17 अक्टूबर को जानकारी दी थी.

याचिका में कहा गया, ‘बाद में उसी रात को यह सूचित किया गया कि एनएसए ने राकेश अस्थाना को प्राथिमकी दर्ज होने के बारे में जानकारी दी. यह सूचित किया गया कि राकेश अस्थाना ने एनएसए से कथित तौर पर यह अनुरोध किया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए.’

पुलिस उपाधीक्षक एके बस्सी के शपथपत्र का समर्थन करते हुए सिन्हा ने दावा किया कि बस्सी ने रिश्वत मामले (अस्थाना से संबंधित) में जन सेवकों पर तुरंत छापे मारे जाने का समर्थन किया था. किन्तु सीबीआई के निदेशक ने तुरंत अनुमति नहीं दी और कहा कि एनएसए ने इसके लिए अनुमति नहीं दी. उल्लेखनीय है कि बस्सी को अंडमान एवं निकोबार स्थानांतरित कर दिया गया है.

सीबीआई ने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान आरोपी मनोज प्रसाद से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

सिन्हा ने कहा कि बिचौलिये मनोज प्रसाद से पूछताछ के दौरान डोभाल तथा भारत की खुफिया एजेंसी रा के विशेष निदेशक एस के गोयल का नाम सामने आया.

सिन्हा ने कहा, ‘मनोज प्रसाद के अनुसार उसके पिता दिनेश्वर संयुक्त सचिव के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी डोभाल से अच्छी पहचान थी. सीबीआई मुख्यालय लाने पर मनोज ने सबसे पहले यही दावा किया था। उसने इस बात पर आश्चर्य और क्रोध जताया कि उसे सीबीआई कैसे पकड़ सकती है जबकि डोभाल से उसके करीबी संबंध हैं.'

उन्होंने कहा कि मनोज ने सीबीआई अधिकारियों पर तंज कसा और उनसे ‘सीमाओं में रहने’ को कहा.