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आधार की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नागरिकों तक फायदा पहुंचाने का सबसे बेहतर तरीका नहीं हो सकता आधार

आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में गुरुवार को भी बहस हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि उसे नहीं लगता नागरिकों को फायदा पहुंचाने के लिए आधार बेहतरीन मॉडल है।

Updated on: 19 Apr 2018, 11:02 PM

highlights

  • आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में गुरुवार को भी बहस हुई
  • इस दौरान कोर्ट ने कहा कि उसे नहीं लगता नागरिकों को फायदा पहुंचाने के लिए आधार बेहतरीन मॉडल है

नई दिल्ली:

आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में गुरुवार को भी बहस हुई। 

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि आधार के जरिए लोगों को अधिकारियों के आमने-सामने लाना सर्वश्रेष्ठ मॉडल है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ आधार को चुनौती दिए जाने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। 

आधार कार्ड बनाने वाली संस्था यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) और गुजरात सरकार की तरफ से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि 12 नंबर का आधार कार्ड नागरिकों को सेवा प्रदान करने वाली एजेंसियों के सामने लाता है और उनके बीच कोई दीवार नहीं होती है।

जिसके जवाब में बेंच ने कहा, 'हम इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि यह सबसे बेहतर मॉडल है। नागरिक को निवेदक की भूमिका में नहीं होना चाहिए बल्कि राज्य को उनके पास जाकर सुविधाएं पहुंचानी चाहिए।'

बेंच में जस्टिस ए के सिकरी, ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण शामिल हैं।

बेंच ने कहा कि यूएडीएआई कह रही है कि आधार केवल पहचान का तरीका है लेकिन 'इसमें यह कहा गया है कि किसी को बाहर नहीं रखा जा सकता।'

इसके जवाब में द्विवेदी ने कहा कि विकास लोगों को गरीबी से निकालने के लिए जरूरी है। बेंच ने कहा कि लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाना एक बात है जबकि निजता का अधिकार दूसरी बात।

इससे पहली की सुनवाई में राकेश द्विवेदी ने कहा था कि कोर्ट को आधार कार्ड को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कानून नहीं है, जो खामी रहित हो।

द्विवेदी ने कहा कि अगर कोर्ट को कानून में कुछ खामी नजर आती है, तो कुछ शर्तें तय की जा सकती हैं, लेकिन याचिकाकर्ता के आरोपों को बुनियाद बनाते हुए कानून को खारिज नहीं किया जा सकता।

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