राफेल सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ, और अधिक लड़ाकू विमान देने में खुशी होगी: दसॉ सीईओ
एरिक ट्रेपियर ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच हुए 36 राफेल लड़ाकू विमान में 'कोई घोटाला' नहीं हुआ है और कहा कि अगर भारत को और विमान चाहिए तो उनकी कंपनी को विमान आपूर्ति करने में खुशी होगी.
नई दिल्ली:
फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट कंपनी दसॉ एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रेपियर ने बुधवार को कहा कि भारत और फ्रांस के बीच हुए 36 राफेल लड़ाकू विमान में 'कोई घोटाला' नहीं हुआ है और कहा कि अगर भारत को और ज्यादा लड़ाकू विमान चाहिए तो उनकी कंपनी को विमान आपूर्ति करने में खुशी होगी.
ट्रेपियर ने एयरो इंडिया एयरशो से इतर पत्रकारों से कहा, 'राफेल के संबंध में कोई घोटाला नहीं हुआ है. हमें 36 लड़ाकू विमानों का आग्रह किया गया था और हम 36 विमानों की आपूर्ति करने वाले हैं. अगर भारत सरकार और लड़ाकू विमान चाहती है तो हमें आपूर्ति करने में खुशी होगी.'
उन्होंने कहा, 'इसके अलावा 110 लड़ाकू विमानों के लिए एक रिक्वेस्ट फॉर इन्फोर्मेशन (आरएफआई) भी है. हम एक उम्मीदवार हैं क्योंकि हम महसूस करते हैं कि राफेल एक सर्वश्रेष्ठ विमान है और भारत में हमारे पदचिह्न् हैं. यह सिर्फ दसॉ के बारे में नहीं है, लेकिन कई अन्य कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में है और संयुक्त उपक्रम में है.'
यह पूछे जाने पर कि दसॉ ने रक्षा उपकरण बनाने में रिलायंस के पास अनुभव के अभाव के बावजूद उस कंपनी के साथ साझेदारी क्यों की, ट्रैप्पियर ने कहा, 'हां, लेकिन मेरे पास अनुभव है. मैं यह जानकारी और अनुभव भारतीय टीम को हस्तांतरित कर रहा हूं.'
उन्होंने कहा कि एक नई कंपनी दसॉ रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीएआरएल) द्वारा भारतीय टीम नियुक्त की गई है. वे भारत और कंपनी के लिए अच्छे हैं. इसलिए समस्या कहां है?
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रिलायंस के पास वित्तीय संकट होने के बावजूद उसके साथ साझेदारी पर दसॉ के आगे बढने के बारे में पूछे जाने पर ट्रैप्पियर ने कहा, 'उनके अपने खुद के विषय हैं, लेकिन हम साथ मिल कर काम कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि उन्होंने रिलायंस को इसलिए चुना क्योंकि वह चाहते थे कि भारत में फ्रांसीसी विमान के पुर्जे बनें. उन्होंने कहा, 'मैंने यहां भारत में सुविधाएं तैयार करने के लिए अपना धन निवेश किया और मैंने साझेदार पाए.'
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कांग्रेस राफेल सौदा मामले में लगातार नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर नियमों को ताक पर रखने और क्रॉनी पूंजीवाद का आरोप लगाती रही है. पार्टी इसके अलावा सौदे के संबंध में जेपीसी की भी मांग करती रही है.
एनडीए सरकार ने 36 राफेल दोहरे इंजन वाले लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस सरकार के साथ 7.87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रूपये) के एक सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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