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संसद में घमासान, मोदी सरकार के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, आज होगी परीक्षा

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, हालांकि थोड़ी ही देर बाद दोनों दलों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया।

Updated on: 21 Mar 2018, 01:40 PM

highlights

  • लोकसभा में सोमवार को भी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं हो सका
  • मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए वाईएसआर कांग्रेस ने स्पीकर को दिया नोटिस

नई दिल्ली:

लोकसभा में सोमवार को भी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं हो सका।

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, हालांकि थोड़ी ही देर बाद दोनों दलों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया।

दोनों दलों के सांसद हंगामा करते हुए लोकसभा स्पीकर के आसन के समीप आ गए, जिसकी वजह से लोकसभा को पहले दोपहर 12 बजे और फिर पूरे दिन तक के लिए स्थगित करना पड़ा।

लोकसभा के स्थगित होने के साथ ही विपक्षी दलों का लाया गया अविश्वास प्रस्ताव मंजूर नहीं हो पाया।

हालांकि वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने एक बार फिर से लोकसभा स्पीकर को आज अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है।

वाईएसआर कांग्रेस के इस नोटिस के बाद मंगलवार को भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को पेश किए जाने की संभावना है।

सरकार ने साधा विपक्ष पर निशाना

वहीं अविश्वास प्रस्ताव से बेपरवाह दिख रही सरकार ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने कहा, 'एक तरफ तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ वह संसद में हंगामा कर रहे हैं, ताकि प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सके।'

प्रसाद ने कहा, 'उन्हें खुद नहीं पता कि वह संसद में क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं?'

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।

हालांकि विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव की राह में रोड़ा डालने का आरोप लगाया है।

समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि तमिलनाडु की सत्ताधारी अन्नाद्रमुक सरकार के इशारे पर संसद में हंगामा कर रही ताकि अविश्वास प्रस्ताव को पेश होने से रोका जा सके।

उन्होंने कहा, 'विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन ऐसा लगता है कि अन्नाद्रमुक केंद्र सरकार के इशारे पर सदन को चलने नहीं दे रही है।'
अविश्वास प्रस्ताव को मिला कांग्रेस का समर्थन

केंद्र सरकार के खिलाफ पेश होने वाले पहले अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है।

वहीं एनडीए की सहयोगी शिव सेना ने बीजेपी को झटका देते हुए अविश्वास प्रस्ताव से दूरी बना ली है। शिव सेना ने कहा कि वह इस अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार और विपक्षी दल, दोनों में से किसी के साथ ख़ड़ी नहीं होगी।

पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव तो भी नहीं गिरेगी सरकार

केंद्र की मोदी सरकार को पहली बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है।

अगर लोकसभा स्पीकर तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे भी देती है, तो इससे मोदी सरकार पर कोई असर नहीं होगा।

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने की वजह से नाराज तेलुगू देशम पार्टी ने हाल ही में सरकार सेे अलग होने के साथ एनडीए से नाता तोड़ लिया है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 543 है और फिलहाल सदन में 536 सांसद हैं।

536 सांसदों में अकेले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 273 सांसद हैं और यह संख्या मौजूदा लोकसभा के हिसाब से सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा यानी 269 से अधिक है।

हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसमें बीजेपी के सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या शामिल नहीं है।

टीडीपी के अलग होने के बाद बीजेपी के सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या 56 है और अगर दोनों को मिला दिया जाए तो एनडीए के पास कुल सांसदों की संख्या 329 है।

ऐसी स्थिति में अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी मिल भी जाती है तो वह जाहिर तौर पर गिर जाएगा।

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