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निर्भया गैंगरेप: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोगों ने सराहा, मां ने कहा- हमारा भरोसा फिर से जगा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि हमें पता था कि यह पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाएगा।

Updated on: 09 Jul 2018, 05:21 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का लोगों ने स्वागत किया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि हमें पता था कि यह पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाएगा।

उन्होंने कहा, 'हम जानते थे कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाएगी। लेकिन अब क्या? इतने समय में बहुत सारा वक्त जा चुका है और महिलाओं के खिलाफ डर बढ़ा है। मुझे विश्वास है कि जल्द ही उन्हें फांसी दी जाएगी।'

बता दें कि 5 मई को निर्भया गैंगरेप में मिली फांसी की सजा के खिलाफ दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिका में पुनर्विचार के आधार नहीं हैं।

सोमवार के फैसले पर निर्भया की मां आशा देवी ने जीत का चिह्न दिखाते हुए खुशी जताई लेकिन कहा कि हमारी लड़ाई यहां खत्म नहीं हुई है।

आशा देवी ने कहा, 'हमारी लड़ाई यहां खत्म नहीं होती है। न्याय में देरी हो रही है। इससे समाज के दूसरी बेटियां प्रभावित हो रही हैं। मैं न्यायपालिका से विनती करती हूं कि वे अपनी न्यायिक प्रणाली को मजबूत करे और उन्हें फांसी देकर जल्द से जल्द निर्भया को न्याय दिलाएं और दूसरी लड़कियों और महिलाओं की मदद करें।'

उन्होंने कहा, 'वे नाबालिग नहीं थे। यह दुर्भाग्य है कि उन्होंने इस तरह का अपराध किया। इस फैसले ने हमारा भरोसा फिर से जगाया है कि हमें न्याय जरूर मिलेगा।'

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, 'मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं। इससे साबित होता है कि न्याय में देरी हो सकती है लेकिन इंकार नहीं किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। यह फैसला दिखाता है कि देश में कानून अपने तरीके से काम करती है।'

केंद्रीय मंत्री पी पी चौधरी ने कहा, 'पूरे देश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। यह फैसला इस तरह का अपराध करने वाले लोगों के लिए सबक की तरह है।'

महिला कार्यकर्ता बृंदा अडिगे ने कहा कि चारों दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाना चाहिए।

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बढ़ाया है। समाज के रूप में हमें रेप के आरोपियों और दोषियों को कड़े संदेश देने की जरूरत है।'

सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले वकील ए पी सिंह ने कहा, 'न्याय हर किसी को मिलना चाहिए। बच्चों (दोषियों) के साथ अन्याय हुआ है। यह फैसला राजनीतिक, लोगों और मीडिया के दवाब के कारण आया है।'

दिसंबर 2012 की क्रूर घटना

दिल्ली में रहने वाली एक 23 वर्षीय युवा पेशेवर निर्भया के साथ चलती बस में पांच लोगों ने मिलकर बेरहमी के साथ बलात्कार किया था। पांच आरोपियों में से एक ने 16 दिसंबर, 2012 को जेल में आत्महत्या कर ली थी।

इस घटना से देश भर में आक्रोश पैदा हो गया था। निर्भया की सिंगापुर की एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई में 38 दिन लगे थे, क्योंकि चारों दोषियों के वकीलों को उनके पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था।

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