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मालेगांव धमाके मामले में कोर्ट ने माना, 'हिंदू राष्ट्र' स्थापित करना था लक्ष्य

विशेष राष्ट्रीय जांच आयोग (एनआईए) कोर्ट ने माना है कि मालेगांव बम धमाके के आरोपियों का मकसद 'हिंदू राष्ट्र' स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाना था।

Updated on: 28 Dec 2017, 11:59 PM

नई दिल्ली:

विशेष राष्ट्रीय जांच आयोग (एनआईए) कोर्ट ने माना है कि मालेगांव बम धमाके के आरोपियों का मकसद 'हिंदू राष्ट्र' स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाना था।

इस मामले में कल (बुधवार) को एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य आरोपियों को 2008 मालेगांव बम धमाके मामले में मकोका हटाते हुए और अन्य धाराओं में केस चलाने का आदेश दिया था, लेकिन इसी वक्त कोर्ट ने यह माना कि इस धमाके में आरोपियों का मकसद 'हिंदु राष्ट्र' स्थापित करने का था।

विशेष जज एसडी टेकले ने 130 पेज का ऑर्डर जोकि आज जारी किया गया है, उसमें कहा है कि महाराष्ट्र नियंत्रण संगठित अपराध अधिनियम (मकोका) के तहत अभियुक्तों को चार्ज करने के लिए अपर्याप्त सबूत थे।

गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 17, 20 और 13 एवं हथियार अधिनियम के तहत सभी आरोपों को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन अदालत ने गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 18 के साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 302, 307, 304, 326, 427 और 153ए के तहत साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित के खिलाफ सुनवाई करने का फैसला किया है। 

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बता दें कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को साजिश रचने के आरोपों से मुक्त करने से इंकार करते हुए कहा कि विस्फोटक ले जाने वाली मोटरसाइकिल के बारे में उसे जानकारी थी। 

सोमवार को अदालत ने पुरोहित और दूसरे आरोपी समीर कुलकर्णी की ओर से गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अभियोग चलाने की मंजूरी को चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया। 

गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मोटरसाइकिल से बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग इस घटना में जख्मी हुए थे। महाराष्ट्र पुलिस की आतंक रोधी दस्ते ने मामले में 11 लोगों को नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया था। अप्रैल 2011 में मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया था। 

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