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नरोदा पाटिया दंगा: पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी की सजा बरकरार

गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया।

Updated on: 20 Apr 2018, 06:07 PM

highlights

  • 'संदेह की लाभ' की वजह से कोडनानी को निर्दोष करार दे दिया गया
  • मामले में बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की सजा बरकरार रहेगी
  • 2002 में नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी

गांधीनगर:

गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया।

हाई कोर्ट ने कहा कि हिंसा के वक्त घटनास्थल पर माया कोडनानी मौजूद नहीं थीं। 'संदेह की लाभ' की वजह से उन्हें निर्दोष करार दे दिया गया।

गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए एस सुपेहिया की डिविजन बेंच ने मामले पर फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि कोडनानी के खिलाफ दोष साबित साबित नहीं हो पाए हैं।

दंगों के 32 दोषियों में से गुजरात हाई कोर्ट ने माया कोडनानी समेत 17 लोगों को मामले से बरी कर दिया, 12 दोषियों की सजा बरकरार रखा गया, दो पर फैसला आना बांकी है वहीं एक की मौत हो चुकी है।

माया कोडनानी के पीए किरणपाल छावरा को भी इस मामले में बरी कर दिया गया। बता दें कि दंगों के वक्त माया कोडनानी गुजरात के नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में मंत्री थीं।

माया कोडनानी के साथ गणपत निदावाला और विक्रम छारा को भी हाई कोर्ट ने बरी कर दिया। इससे पहले विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने माया कोडनानी को 28 साल की सजा सुनाई थी।

वहीं इस मामले में हाई कोर्ट ने बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी की सजा बरकरार रखी है। बाबू बजरंगी को मौत तक जेल में रहना पड़ेगा।

बाबू बजरंगी के साथ किशन कोराणी, प्रकाश राठोर, सुरेश लंगडो, मुरली सिंधि, नरेश छारा, गणपत छनाजी, हरेश छारा की सजा बरकरार रहेगी।

गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के पीड़ितों की मुआवजे की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

क्या था मामला

गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 28 फरवरी 2002 को हुए दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे।

यह घटना 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन जलाए जाने के एक दिन बाद हुई थी। विश्व हिन्दू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को बंद का आह्वान किया था। इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था।

अगस्त 2009 में शुरू हुआ मुकदमा

इस मामले में अगस्त 2009 में मुकदमा शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए। अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए। इनमें पत्रकार, पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।

29 अगस्त को न्यायधीश ज्योत्सना याग्निक की अध्यक्षता वाली अदालत ने बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड़यंत्र रचने का दोषी पाया। इनके अलावा 32 और लोगों को भी दोषी करार दिया गया था।

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