हिंदी जगत के मशहूर आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का निधन
दिल्ली के AIIMS में मंगलवार की रात को हिंदी जगत के मशहूर आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का निधन हो गया.
नई दिल्ली:
दिल्ली के AIIMS में मंगलवार की रात को हिंदी जगत के मशहूर आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का निधन हो गया. 92 साल के नामवर सिंह एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती थे. बताया जा रहा है कि ब्रेन हैमरेज की वजह से उनकी मौत हो गई है. इससे पहले उन्हें जनवरी में भी ईसीयू में भर्ती करवाया गया था, लेकिन कुछ दिन के इलाज के बाद उनकी सेहत ठीक हो गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक नामवर सिंह अपने कमरे में गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. हालांकि उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई.
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उनके परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, साहित्यकार नामवर सिंह का आज दिल्ली के लोधी घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके निधन से साहित्य जगत में गहरा शोक है. साहित्य और पत्रकारिता जगत के दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक जताया है. आजाद भारत में साहित्य की दुनिया में नामवर सिंह का नाम सर्वाधिक चर्चित रहा. कहा जाता है कि उनकी ऐसी कोई किताब नहीं जिस पर वाद-विवाद और संवाद न हुआ हो. देश भर में घूम-घूमकर वे अपने व्याख्यानों, साक्षात्कारों से सांस्कृतिक हलचल उत्पन्न करते रहे. उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है.
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नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था. उन्होंने अधिकतर आलोचना, साक्षात्कार आदि विधाओं में सृजन किया. उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई ऊंचाई दी. नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की. इसके बाद वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे. उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें चर्चित हैं.
पिछले साल 28 जुलाई को जब नामवर सिंह 92 साल के हो गए तो लेखक और उनके छोटे भाई काशीनाथ सिंह ने कहा था कि नामवर के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का पहला राज है उनका पढ़ना और लिखना. जब तक वह पढ़ सकते हैं, तब तक वे स्वस्थ रहेंगे. उन्होंने कहा, उनके स्वास्थ्य का दूसरा बड़ा राज है, विरोध सुनते रहना. वह विरोध से ताकत पाते हैं. उन्हें लोकप्रियता पसंद है, यह केवल अध्यापन करते हुए संभव नहीं था. आलोचकों में भी ऐसी लोकप्रियता किसी को नहीं मिली, जैसी नामवरजी को मिली है।
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