logo-image

'मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को प्रवेश नहीं देना असंवैधानिक और महिला अधिकारों का हनन'

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक याचिका दायर कर मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर रोक को असंवैधानिक करार देने का आग्रह किया गया है.

Updated on: 15 Apr 2019, 04:35 PM

नई दिल्ली.:

तीन तलाक (Triple Talaq) के खिलाफ लंबी लड़ाई जीतने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने अब मस्जिदों में प्रवेश को लेकर नया मोर्चा खोला है. इस बाबत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को एक याचिका दायर कर इस परंपरा को असंवैधानिक और अवैध करार देने का आग्रह किया गया है. केरल हाईकोर्ट के इस मसले पर आए फैसले में महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश पर रोक हटाने से इंकार कर दिया था. इसके बाद इस प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया गया था.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व मुस्लिम विधायकों ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी, रखी यह मांग

गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला में मासिक धर्म से गुजरने वाली हिंदू महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटने के बाद ही मुस्लिम महिलाओं ने मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और नमाज अता करने के लिए मुहिम छेड़ने के संकेत दिए थे. केरल की सामाजिक कार्यकर्ता वीपी जुहरा का कहना था कि यह रोक (Prohibition) महिलाओं के नैतिक अधिकारों और बराबरी के अधिकार का उल्लंघन करती है.

यह भी पढ़ेंः ICC CWC 2019: विश्व कप के लिए टीम इंडिया का ऐलान, इस खिलाड़ी को बनाया गया कप्तान.. यहां देखें पूरी लिस्ट

उन्होंने मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश औऱ नमाज अता करने पर लगी रोक को भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा था, 'सुन्नी मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश कर नमाज अता करने पर रोक है. यह तब है जब मोहम्मद साहब के दौर में महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज पढ़ने की इजाजत थी.' उन्हीं दिनों यह तय किया गया था कि इस पक्षपाती और महिला अधिकारों के हनन करती परंपरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी.

यह भी पढ़ेंः बीजेपी के इस नेता ने कहा- आजम खान एसपी का पालतू आदमी, दूसरों को गाली देना है काम

गौरतलब है कि भारत में दिल्ली की जामा मस्जिद (Jama Masjid) समेत कई मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की तो अनुमति है, लेकिन वह पुरुषों की तरह समान कतार में बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकती हैं. उन्हें नमाज पढ़ने के लिए अक्सर अलग स्थान दिया जाता है. इसके अलावा वे मगरिब (शाम की) के बाद भी मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकती हैं.